Shri Ram Temple : कलाकारों की आस्था और 8 महीने की साधना, संगमरमर से सजी राम दरबार की दिव्यता
चंडीगढ़, 6 जून (ट्रिन्यू)
श्रीराम की नगरी अयोध्या इन दिनों भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण कार्य को लेकर चर्चा में है। यह कार्य है- राम दरबार की अद्वितीय संगमरमर की मूर्तियों का निर्माण। खास बात यह है कि इन्हें तैयार करने में जिस संगमरमर का उपयोग हुआ है, वह करीब 40 साल पुराना है। इन्हें आकार देने में लगभग 8 महीने का समय लगा।
40 साल पुराने संगमरमर की खासियत
मूर्तियों के निर्माण में जिस संगमरमर का उपयोग हुआ है, वह राजस्थान के मकराना क्षेत्र से लगभग 4 दशक पहले लाया गया था। मकराना का संगमरमर विश्व प्रसिद्ध है, जिसे ताजमहल जैसी ऐतिहासिक इमारत में भी उपयोग किया गया था। यह संगमरमर न केवल अपनी सफेदी के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी मजबूती और चिकनाहट भी इसे अन्य पत्थरों से अलग बनाती है।
चार दशक पहले लाए गए इन पत्थरों को राम दरबार की मूर्तियों के लिए खास तौर पर संरक्षित रखा गया था। समय के साथ इन पत्थरों की गुणवत्ता और भी बेहतर हो गई, जिससे उनमें से निकाली गई मूर्तियां अत्यंत प्रभावशाली और जीवंत दिखाई देती हैं। इनमें भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और भक्त हनुमान की आकृतियां शामिल हैं। सभी मूर्तियां अत्यंत सूक्ष्म और बारीकी से तराशी गई हैं।
मूर्तियों की ऊंचाई लगभग 51 इंच है और इन्हें पूरी तरह हाथ से तराशा गया है। शिल्पकारों ने मूर्तियों के चेहरे की भाव-भंगिमा, वस्त्रों की सिलवटें, आभूषणों की डिजाइन, और मुद्रा को अत्यंत श्रद्धा और ध्यानपूर्वक उकेरा है। इन मूर्तियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो श्रीराम दरबार साक्षात मूर्त रूप में उपस्थित हो गया हो।
8 महीनों की कठिन तपस्या
मूर्तियों को आकार देने में उत्तर भारत और राजस्थान के करीब एक दर्जन अनुभवी मूर्तिकारों की टीम ने 8 महीनों तक दिन-रात परिश्रम किया। यह कार्य केवल तकनीकी दृष्टि से ही कठिन नहीं था, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया। शिल्पकारों ने कार्य प्रारंभ करने से पहले विशेष पूजा-अर्चना की और हर चरण में धार्मिक अनुशासन का पालन किया। उनका मानना था कि ये मूर्तियां केवल पत्थर नहीं, बल्कि भगवान का साक्षात स्वरूप हैं, जिन्हें अत्यंत श्रद्धा और मर्यादा से बनाया जाना चाहिए।
स्थापना की तैयारी
इन मूर्तियों को जल्द ही अयोध्या के भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। इससे पहले इन मूर्तियों का 'प्राण-प्रतिष्ठा' अनुष्ठान किया जाएगा, जो वैदिक विधियों के अनुसार संपन्न होगा। मंदिर ट्रस्ट ने जानकारी दी है कि मूर्तियों की स्थापना के लिए विशेष खंभों और आधार का निर्माण किया गया है, जिससे उन्हें स्थायित्व और सुरक्षा मिल सके।
राम दरबार की ये मूर्तियां न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं बल्कि वे भारतीय शिल्पकला, स्थापत्य और सांस्कृतिक परंपरा का भी प्रतीक हैं। मूर्तियों के माध्यम से रामायण की महिमा और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन आदर्शों का दर्शन होता है।