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पूजन विधि का श्रीगणेश आज 18 को गर्भ गृह में विराजेंगे रामलला

06:41 AM Jan 16, 2024 IST
अयोध्या में मीडिया को संबोिधत करते चंपत राय। -प्रेट्र

अयोध्या, 15 जनवरी (एजेंसी)
अयोध्या राम मंदिर में स्थापना के लिए मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति चुनी गयी है। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को प्रतिमा और प्राण प्रतिष्ठा समारोह की जानकारियां साझा की। उन्हाेंने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने नव्य भव्य मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी। जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है, उसे 18 जनवरी को गर्भ गृह में आसन पर रख दिया जाएगा। रामलला की मौजूदा मूर्ति को भी नये मंदिर के गर्भगृह में ही रखा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्राण प्रतिष्ठा प्रारंभ होगी। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी श्रद्धेय गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड की संपूर्ण विधि वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी। पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू होकर 21 जनवरी तक चलेगी। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम आवश्यक गतिविधियां आयोजित होंगी। इससे पहले 20 और 21 जनवरी को मंदिर बंद रहेगा और लोग 23 जनवरी से भगवान के दर्शन कर सकेंगे।’

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राम में रमी अयोध्या

प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गर्भ गृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सभी न्यासी उपस्थित रहेंगे। मंदिर प्रांगण में आठ हजार कुर्सियां लगाई जाएंगी, जहां विशिष्ट लोग बैठेंगे। लगभग 150 परंपराओं के संत महात्मा कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। मंदिर के निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग, जिन्हें इंजीनियर ग्रुप का नाम दिया गया है, वो भी कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे।
चंपत राय ने कहा, देश भर में 22 जनवरी को लोग अपने-अपने मंदिरों में भजन, पूजन में हिस्सा लेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लाइव देखा जा सकेगा। उन्होंने कहा, ‘प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद लोग शंख बजाएं और प्रसाद वितरण करें। अधिक से अधिक लोगों तक प्रसाद पहुंचना चाहिए। शाम को घर के बाहरी दरवाजे पर पांच दीपक प्रभु की प्रसन्नता के लिए अवश्य जलाएं।’
बाल स्वरूप, 150-200 किलो वजन चंपत राय ने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है वो पत्थर की है। उसका वजन 150 से 200 किलो के बीच है। यह पांच वर्ष के बालक का स्वरूप है, जो खड़ी प्रतिमा के रूप में स्थापित की जानी है। राय ने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा होती है, उसको अनेक प्रकार से निवास कराया जाता है, जिसे पूजा पद्धति में अधिवास कहते हैं। इसके तहत जल, अन्न, फल, औषधि, घी, शय्या, सुगंध समेत अनेक प्रकार के निवास कराए जाते हैं। यह बेहद कठिन प्रक्रिया है।
मिथिला, सीतामढ़ी से आयी भेंट : रामलला के पूजन के लिए मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज संगम, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण आिद अनेक स्थानों का जल लाया गया है। मिथिला से जुड़े दक्षिण नेपाल के वीरगंज से एक हजार टोकरी में भेंट आई है। इसमें अन्न, फल, वस्त्र, मेवे, सोना और चांदी भी है। सीतामढ़ी से जुड़े लोग भी आए हैं, जहां सीता माता का जन्म हुआ वहां से भी लोग भेंट लेकर आए हैं। राम जी की ननिहाल छत्तीसगढ़ से भी लोग भेंट लाए हैं।

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