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उल्लास से मनाया श्रावणी पूजन, रक्षाबंधन महापर्व

08:23 AM Aug 20, 2024 IST
उल्लास से मनाया श्रावणी पूजन  रक्षाबंधन महापर्व
पिहोवा में सोमवार को सरस्वती के तट पर पूजन करते ब्राह्मण समाज के लोग। -निस

पिहोवा, 19 अगस्त (निस)
सरस्वती के तट पर ब्राह्मण समाज ने श्रावणी पूजन रक्षाबंधन महापर्व उल्लास के साथ मनाया। इस मौके पर शास्त्री विवेक पौलस्त्य ने पापांतक तीर्थ पर श्रावणी पूजन व ऋषि पूजन संपन्न कराया। शास्त्री विवेक पौलस्त्य ने बताया कि ऋषि तर्पण, देव तर्पण, पितृ तर्पण करना प्रत्येक के लिए अति आवश्यक है। ब्राह्मण समुदाय द्वारा श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन के अवसर पर यह पूजन किया जाता है। इस पूजन में 108 स्नान दूग्ध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र, भस्मी, दुर्गा कुश, उगा मिट्टी के साथ स्नान करके शरीर को पवित्र किया जाता है। इसी के साथ ही जंबूद्वीप भारत खंड के अंतर्गत आने वाले सभी तीर्थ स्थलों, नदी, नालों, पर्वतों, समुद्र के नाम का उच्चारण करके स्नान किया जाता है। सभी देवताओं सभी ऋषियों, दिव्य पितरों और अन्य पितरों का तर्पण किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन ब्राह्मण समुदाय अपने यज्ञोपवीत जनेऊ का पूजन करके उन्हें धारण करता है। यज्ञोपवित धारण करना ही पुनर्जन्म है।
समारोह में संजय शास्त्री, विजय शास्त्री, मोहितेश पौलस्त्य, रवि रिस्यान, गौरव हैप्पी पुलस्त्य, गोपाल कौशिक, ईश्वर तिवाड़ी सहित बड़ी संख्या में ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने भाग लिया। दूसरी ओर हनुमान मंदिर के सामने घाट पर पंडित विनोद बजरंगी ने भी श्रावणी पूजन कराया। इस मौके पर पालिका प्रधान आशीष चक्रपाणि धर्मवीर अत्री, राकेश पुरोहित, जयपाल कौशिक, विजय कौशिक राजस्थानी मौजूद थे।

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कष्ट निवारण तीर्थ पर लगा विशाल मेला

कैथल (हप्र) : रक्षाबंधन पर गांव पिलनी के कष्ट निवारण तीर्थ पर विशाल मेले, हवन तथा भंडारे का आयोजन किया गया। महंत शिवम गिरी ने बताया कि महाभारत काल से हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को गांव के कष्ट निवारण तीर्थ पर विशाल मेले का आयोजन होता आ रहा है। यह एक ऐसा तीर्थ है, जिस पर स्नान करने से शरीर के सभी प्रकार के कष्ट खत्म हो जाते हैं। इस तीर्थ को बाबा देवी दास की कुटिया के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि इस तीर्थ का जिक्र महाभारत काल से किया जाता है। में ऐसा माना जाता है की अगर किसी को काया का कष्ट है और यहां 5 रविवार स्नान कर ले और पूर्णमासी को हवन कर प्रसाद बांट दें, तो उसके सभी प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। यहां पर दूर-दूर के प्रदेशों के लोग स्नान करने के लिए आते हैं।

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