साइकिल चलाने वाली शिखा गुर्जर ई-बस चलाने में प्रवीण
अरविंद शर्मा/निस
जगाधरी, 7 जुलाई
ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत बस इन्हें प्रोत्साहित करने की है। गांव माडो हलदरी की शिखा गुर्जर इसका उदाहरण है। बचपन में साइकिल चलाने वाली यह बेटी अब ई-बस दौड़ा रही है। ट्रैक्टर भी चला लेती है। शिखा ने बीएससी करने के बाद पहले लर्निंग लाइसेंस बनवाया। ट्रैनिंग पूरी होने के बाद उसे हैवी वाहन चालक का लाइसेंस मिल गया। 5 साल पहले उसने रोडवेज में बस चलाने की ट्रैनिंग ली। शिखा के पिता राकेश कृषि कार्य करते हैं। शिखा गुर्जन ने कहा कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। बस करने की लगन व ईमानदारी होनी चाहिए। इलेक्ट्रिक बस का स्टेयरिंग थामने वाली शिखा गुर्जर पहली युवती है। उसकी ड्राइविंग स्किल देखकर स्टाफ सदस्य व सवारिया भी हैरान हैं। इन दिनों वह जगाधरी बस स्टैंड से छछरौली रूट पर बस चला रही है। शिखा बताती हैं कि उनके दादा स्व. चौधरी जयपाल सिंह उनको अक्सर कुछ नया करने के प्रेरित करने वाली कहानी सुनाते थे। पूर्व विधायक अर्जुन सिंह, पूर्व चेयरमैन चंद्रपाल माडो, अजब सिंह, विनोद तेलीपुरा, महावीर सिंह, नंबरदार संघ के हलका प्रधान सुन्हैरा सिंह तेलीपुरा, एडवोकेट सेठपाल खदरी, पूर्व चेयरमैन मोहन गुर्जर का कहना है कि बेटियां आज कामयाबी की नयी कहानी लिख रही हैं।