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शशि थरूर बोले- Emergency एक सबक है, लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए

11:37 AM Jul 10, 2025 IST
शशि थरूर।

तिरुवनंतपुरम, 10 जुलाई (भाषा)

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Shashi Tharoor: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा है कि आपातकाल को भारत के इतिहास में काले अध्याय के रूप में ही याद नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इससे मिले सबक को पूरी तरह से समझा जाना चाहिए और लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

मलयालम दैनिक ‘दीपिका' में बृहस्पतिवार को आपातकाल पर प्रकाशित एक लेख में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य ने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के दौर को याद किया और कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास अक्सर क्रूरतापूर्ण कृत्यों में बदल जाते हैं जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता था।

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तिरुवनंतपुरम के सांसद ने लिखा, ‘‘इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया जो इसका एक संगीन उदाहरण बन गया। पिछड़े ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और बल का इस्तेमाल किया गया। नयी दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त कर उनका सफाया कर दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।''

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हल्के में लिया जाए, यह एक अनमोल विरासत है जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। थरूर ने कहा, ‘‘यह सभी को हमेशा याद दिलाता रहे।''

थरूर के अनुसार, आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हम ज्यादा आत्मविश्वासी, ज्यादा विकसित और कई मायनों में ज्यादा मजबूत लोकतंत्र हैं। फिर भी, आपातकाल के सबक चिंताजनक रूप से प्रासंगिक बने हुए हैं।''

थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रीकृत करने, असहमति को दबाने और संवैधानिक रक्षात्मक उपायों को दरकिनार करने की प्रवृत्ति विभिन्न रूपों में फिर से उभर सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘अक्सर ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जा सकता है। इस लिहाज से आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।''

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