अपनेपन का अहसास कराते शगुन का संबल
डॉ. मोनिका शर्मा
मकर संक्रांति के पर्व पर देश के कई हिस्सों में महिलाएं चौदह चीज़ों का शगुन बांटती हैं। त्योहारी शगुन के इन उपहारों में सुहाग सामग्री से लेकर रोज़मर्रा ज़रूरतों से जुड़े सामान तक शामिल होते हैं। आमतौर पर आस-पड़ोस या रिश्तेदारी में महिलाएं एक-दूसरे को गिफ्ट के तौर पर ऐसी चीज़ें देती हैं। क्यों न इस बार अपने परिवेश और परिवार से जुड़ी महिलाओं को शगुन में सामानों की जगह परवाह का भाव दिया जाये। चीज़ें देने के बजाय चाहतें पूरी करने में मददगार बनने का वादा किया जाये। वस्तुओं की जगह साथ देने, सम्बल बनने के वे विचार और व्यवहार ले लें, जो स्त्रियां एक-दूसरे के प्रति अपने मन में रखें। हर घर से जुड़ने वाली ऐसी शगुन की डोर न सिर्फ महिलाओं को आपस में मजबूती से बांध सकती है बल्कि उनकी ख्वाहिशों और खैरियत को भी साध सकती है।
अपनेपन और गुण गिनाने का गिफ्ट
महिलाएं चाहें पड़ोसी हों या सहकर्मी, रिश्तेदार हों या सहेली, एक-दूजे के गुणों की उपेक्षा कर जाती हैं। जरा सोचिए कि खुद महिलाएं ही एक-दूसरे का मनोबल बढ़ाने में कोताही करेंगी तो बाकी लोग तो उनके गुणों की अनदेखी करेंगें ही। इसीलिए आप सास, ननद, पड़ोसी या सहकर्मी जिस रोल में भी दूसरी महिला से जुड़ी हैं, उसकी काबिलियत की सराहना करने का गिफ्ट दें। दूसरे घर से आई बहू हो या या कोई नई पड़ोसन। नई जगह, नए माहौल में अपनेपन का उपहार देने का प्रॉमिस करें। रिश्ते सहेजने वाले इस उपहार से अच्छा शगुन और क्या हो सकता है? तारीफ़ का तोहफा तो अपनेपन को और पोषित करता है। सराहना का शगुन स्त्री मन की डोर को और मजबूती से बांधता है।
नया सीखने और मन समझने की सौगात
मकर संक्रांति के इस पर्व पर इस बरस जिन महिलाओं को शगुन देना चाहती हैं, उन्हें नया सीखने में मदद करें। उनकी रुचि से जुड़ी किसी क्लास की जानकारी उन तक पहुंचाएं। उम्र के किसी भी पड़ाव पर हों, उनके मन में नया सीखने को लेकर कोई हिचक है तो उसे दूर करें। साथ ही इससे प्यारी भेंट और कोई नहीं हो सकती कि एक स्त्री दूसरी स्त्री के मन की सुने। पीड़ा या ख़ुशी को साझा करे। रिश्तों की औपचारिकता से परे बस एक महिला होने के नाते दूसरी महिला का मन समझने का वादा पूरा परिवेश बदल सकता है। ससुराल में किसी बेटी को ननद के रूप में दोस्त मिल सकती है तो किसी को आस-पड़ोस में खुलकर बतियाने वाली सखी।
सुरक्षा और सम्मान का तोहफा
आज के समय में घर हो या बाहर, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। ऐसे में घर में अपने से छोटी बहू-बेटियों को सुरक्षित और सम्माननीय महसूस करने का शगुन दें। परिवार, आस-पड़ोस में बुजुर्ग महिलाओं को मान का तोहफ़ा दें। बेटियों से उनके सपने पूरे करने में मदद करने का वादा करें। घबराती हैं तो उनके साथ चलने की बात कहें। कोशिश करें कि किसी स्त्री को हाशिये पर न धकेला जाये। किसी बहू-बेटी के साथ कोई ज़्यादती हो तो मुखरता अपनाएं। सम्मान को सहेजने वाली ऐसी सौगात कई बार जीवन तक सहेज लेती है।
स्पष्टवादिता और दोस्ती का गिफ्ट
वैचारिक रूप से आलोचना करनी हो या व्यक्तित्व की किसी कमी की ओर ध्यान दिलाना, खुलकर कहें। स्पष्टवादी व्यवहार का यह रुख आपसे जुड़ी किसी महिला को गलती करने से रोक सकता है। हकीक़त से रूबरू करवा सकता है। किसी अनजाने खतरे से आगाह कर सकता है। यह एक ऐसा गिफ्ट है, जो कमियों को दूर कर मन-जीवन संवारता है। स्पष्टवादिता एक अच्छे और ईमानदार दोस्त का भी सबसे बड़ा गुण होता है। इसीलिए मन से दोस्ती निभाने की ऐसी कोशिशें सौगात स्वरूप दें। इतना ही नहीं, आस-पड़ोस हो या अपना घर, जरूरत पड़ने पर किसी महिला का साथ दें। बच्चे संभालने, हॉस्पिटल जाने या देर-सवेर होने पर कोई भी जरूरत हो तो हर संभव मदद देने का वादा करें।
बेहतर जिन्दगी और जज्बाती जुड़ाव का शगुन
अपने से जुड़ी महिलाओं को शगुन देने का रिवाज रहा है, अब बेहतर जिंदगी और जज्बाती जुड़ाव सौगात के रूप में दें। यह हर उम्र की महिलाओं को प्रोत्साहित करने और सशक्त बनाने के लिए जरूरी पहल है। अपने घर और आस-पड़ोस से इस स्नेह भरी रीत की शुरुआत करें। उनकी खुशियों और इच्छाओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाएं। प्रेम और परवाह का शगुन दें। उनके विचारों को मन से सुनें। पसंद-नापसंद पर बेझिझक बात करने का मौका दें। बहन, बेटी, मां, भाभी या आस-पड़ोस में जुड़ाव रखने वाली किसी महिला को यह जरूर बताएं कि उनका होना एक नियामत सा है।