सेफोलॉजिस्ट चुनावी संकेतों के हुनरबाज
अशोक जोशी
निर्माण के क्षेत्र में आज के युवाओं के लिए नई-नई दिशाएं खुलती जा रही हैं। कुछ ऐसे कार्य क्षेत्र जो न केवल चुनौतीपूर्ण हैं बल्कि आकर्षक और लोकप्रिय होने के साथ-साथ सम्मानजनक आजीविका के अवसर भी प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक कार्य क्षेत्र है चुनाव विश्लेषक या सेफॉलाजिस्ट का।
क्या है सेफोलॅाजी
राजनीति शास्त्र में सेफोलॉजी ऐसी शाखा है जिसमें चुनाव और मतदान की प्रक्रियाओं का सांख्यिकीय और वैज्ञानिक साधनों का उपयोग करके मात्रात्मक विश्लेषण किया जाता है। सेफोलोजी विशेषज्ञ को सेफोलॉजिस्ट कहा जाता है। बोलचाल की भाषा में इसे चुनाव विश्लेषक कहा जा सकता है। सेफोलॉजी में पिछले चुनावी आंकड़ों, जनता के रुझानों, राजनीतिक दलों के खर्चे आदि से अनुमान लगाया जाता है कि किसी चुनाव का परिणाम किस ओर जाएगा। सेफोलॉजिस्ट सामान्य राजनीतिज्ञ से अलग होते हैं। चूंकि सरकार के बनने और गिरने का सारा खेल सदन में मौजूद राजनीतिक दलों के संख्या बल पर ही निर्भर होता है, इसलिए सेफालॉजिस्ट्स क्वांटिटेटिव एनालिसिस भी करते हैं।
क्या करते हैं सेफोलॉजिस्ट
चुनाव विश्लेषक ऐसे पेशेवर होते हैं जो पिछले मतदान के आंकड़ों और उनके प्रतिशत, जनमत सर्वेक्षणों और अन्य संबंधित सूचनाओं का उपयोग करते हुए चुनावों के पैटर्न का अध्ययन करते हैं। वे स्टेटिस्टिकल एप्लिकेशंस का उपयोग करके भविष्य के चुनावों के लिए वोटिंग पैटर्न का अनुमान लगाते हैं। हमारे यहां किसी भी संस्थान या राजनीतिक दलों में सेफोलॉजिस्ट नाम का कोई पद नहीं होता। लेकिन सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में इन-हाउस विश्लेषक होते हैं जिन्हें चुनाव विश्लेषक कहा जा सकता है। कई अनुभवी संपादक, राजनीतिक विश्लेषक और मार्केटिंग रिसर्च स्कॉलर सेफोलॉजिस्ट की दोहरी भूमिका निभाते हैं।
जरूरी योग्यताएं
ऐसे तमाम युवा जिनकी राजनीति और चुनावों में दिलचस्पी हो। इसके साथ ही समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलने , वार्तालाप करने, समस्याओं और मौजूदा परिस्थितियों का विश्लेषण करने के साथ राजनीतिक अनुमान लगाने में अभिरुचि हो। उनके लिए सेफोलॉजिस्ट बनने के लिए अच्छे अवसर उपलब्ध हैं।
ऐसे करें इस क्षेत्र में प्रवेश
चूंकि सेफोलॉजी का क्षेत्र संख्यात्मक एनालिसिस के साथ साथ सामाजिक सम्पर्क पर आधारित है, इसलिए इसके लिए अच्छी सामाजिक-राजनीतिक समझ के साथ-साथ विज्ञान की पृष्ठभूमि कैरियर निर्माण में सहायक हो सकती है। ऐसे युवा जिन्होंने आर्ट्स या साइंस के साथ 10 2 किया हो वे राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र या मार्केटिंग मैनेजमेंट में डिग्री हासिल कर इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। जिन्होंने राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री और पीएचडी की है उन्हें इसका अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। सांख्यिकी स्नातकों के लिए भी यह एक अच्छा कैरियर विकल्प हो सकता है।
इस क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने के लिए दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स नई दिल्ली, लेडी श्रीराम कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय नई दिल्ली, जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली, हिंदू कॉलेज नई दिल्ली, लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज कोलकाता, न्यू कॉलेज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट चेन्नई, सेंट जोसेफ कॉलेज बैंगलोर,देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर, फर्ग्यूसन कॉलेज पुणे, माउंट कार्मेल कॉलेज बैंगलोर, सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता, सेंट एंड्रयूज कॉलेज ऑफ आर्ट्स साइंस एंड कॉमर्स मुंबई, आगरा कॉलेज आगरा, आर्य विद्यापीठ कॉलेज गुवाहाटी, निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर सहित स्थानीय महाविद्यालयों में प्रवेश लिया जा सकता है। इन संस्थानों में अलग-अलग शुल्क लगता है। इन दिनों कुछ मीडिया हाउस भी स्नातक युवाओं के लिए खास पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं।
ऐसे बनें सफल सेफालॉजिस्ट
सेफोलॉजी के लिए किसी प्रकार का विशेष पाठ्यक्रम नहीं होता है। राजनीति शास्त्र और सांख्यिकी के विशेषज्ञ ही सेफोलॉजिस्ट होते हैं। ऐसे लोग चुनावी मामलों में बहुत अनुभवी होते हैं। सेफोलॉजिस्ट बनने के लिए राजनीति शास्त्र की अच्छी जानकारी होना चाहिए, जिसके बाद आमतौर पर किसी समाचार संगठन या सर्वे कंपनी में इस विभाग में काम करते हुए सीखते-सीखते एक अच्छा सेफोलॉजिस्ट बना जा सकता है। अमेरिका में लोग पूर्णकालिक रूप से यही काम करते हैं, लेकिन भारत में अभी सेफोलॉजी इतना आगे नहीं बढ़ा है, इसलिए चुनाव के समय ही कुछ विशेषज्ञ चुनावी विश्लेषण करते हैं, बाकी समय ये लोग मीडिया या राजनीति में सक्रिय होते हैं। सेफोलॉजिस्ट के लिए कोई मान्यता प्राप्त नहीं करनी पड़ती । सफल सेफालॉजिस्ट बनने के लिए समाज, राजनीति और भौगोलिक क्षेत्रों की गहन जानकारी आवश्यक है। इन्हीं योग्यताओं के बल पर आज हमारे देश में प्रणव राय, जीवीएल नरसिंह राव, योगेंद्र यादव , संजय कुमार आदि चुनावी विश्लेषण के उस्ताद माने जाते हैं।
संभावना तथा अवसर
भारत में हमेशा चुनावी माहौल रहता है। पिछले दिनों पांच राज्यों के चुनाव सम्पन्न हुए और आने वाले कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। इसकी घोषणा होते ही सेफोलॉजिस्ट की सक्रियता, गतिविधियां और मांग बढ़ जाएगी। प्री-पोल एनालिसिस के बाद एग्जिट पोल की तैयारियां होने लगेंगी। चुनाव से पहले, उस दौरान और चुनाव के बाद भी राजनीतिक प्रदर्शन हार-जीत की संभावनाओं और कारणों का विश्लेषण जारी रहता है। इस क्षेत्र से जुड़े युवा मीडिया, अनुसंधान एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ राजनीतिक दलों में अपना कैरियर बना अच्छा वेतन तथा सम्मान प्राप्त कर सकते हैं और आगे चलकर प्रशांत किशोर की तरह राजनीतिक रणनीतिकार बनकर राजनीति में अपना वर्चस्व स्थापित कर सकते हैं ।