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पंजाब काडर के वरिष्ठतम पूर्व आईएएस अिधकारी प्रेम कठपालिया नहीं रहे

06:40 AM Mar 04, 2025 IST
पंजाब काडर के वरिष्ठतम पूर्व आईएएस अिधकारी प्रेम कठपालिया नहीं रहे
संयुक्त पंजाब के सबसे बड़े जिले कांगड़ा के डीसी समेत कई अहम पदों पर निभाई जिम्मेदारियां
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 3 मार्च
आईएएस के पंजाब काडर के अब तक जीवित रहे सबसे वरिष्ठ सदस्य प्रेम कठपालिया का रविवार को यहां निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार बीते कल किया गया। उनकी स्मृति में प्रार्थना सभा 6 मार्च को शाम 4:30 बजे चिन्मय मिशन में आयोजित की जाएगी।
1954 बैच के आईएएस अधिकारी कठपालिया अपने पीछे सुखद यादें छोड़ गये हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने उन्हें याद करते हुए कहा, ‘उनके निधन की खबर से गहरा दुख हुआ। 64 साल पहले जब मैं उनके अधीन तैनात हुआ, तब वह पुनर्गठन से पहले के पंजाब में कांगड़ा के उपायुक्त थे। वह कम बोलने वाले, बेहद ईमानदार, गंभीर स्वभाव और उदार हृदय वाले व्यक्ति थे। उनके अधीन काम करना एक शानदार  अनुभव था।’
पंजाब काडर के 1959 बैच के आईएएस अधिकारी वोहरा ने बताया कि कठपालिया अंग्रेजी साहित्य के विद्वान थे और अपने समय में टेनिस व क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी भी रहे। उन्होंने कहा, ‘ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति दें।’
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस (सेवानिवृत्त) एसएस सोढी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कठपालिया अपने ईमानदार, परिश्रमी और विवेकशील व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कहा, ‘वह एक अत्यंत सम्मानित अधिकारी थे। चंडीगढ़ में हम कई वर्षों तक एक-दूसरे के संपर्क में रहे। हम दोनों ने कई वर्षों तक पटियाला में यादविंद्रा पब्लिक स्कूल के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य के रूप में कार्य किया।’
कठपालिया के कामकाजी जीवन का आखिरी हिस्सा गृह मंत्रालय में बीता, जहां वह उन प्रक्रियाओं में शामिल थे, जिनके चलते मेघालय राज्य का गठन हुआ और सिक्किम का भारत में विलय हुआ। कठपालिया के पुत्र अरुण ने ‘ट्रिब्यून’ से बातचीत में अपने पिता के कांगड़ा में डीसी के कार्यकाल (1961-1963) को सबसे यादगार बताया। उस समय कांगड़ा संयुक्त पंजाब का सबसे बड़ा जिला था। कठपालिया के बड़े बेटे कपिल ने बताया, ‘उन्होंने बाद में पटियाला में आबकारी एवं कराधान विभाग के आयुक्त और फिर संभागीय आयुक्त के रूप में कार्य किया। साल 1970 और 1971 में उन्होंने पंजाब की एक्साइज पॉलिसी का मसौदा तैयार किया, जिसने राज्य के राजस्व को कई गुना बढ़ा दिया।’
1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू करने के बाद कठपालिया द्वारा स्वैच्छिक अवकाश लेने का भी परिवार ने उल्लेख किया। 1984 के बाद, प्रेम कठपालिया पंजाब लौटे, जहां वह वित्त आयुक्त (राजस्व) के रूप में सेवानिवृत्त हुए, लेकिन राज्य में राष्ट्रपति शासन के कारण पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में बने रहे।
प्रेम कठपालिया के पिता राय बहादुर हरीश कठपालिया ने गवर्नमेंट कॉलेज, लुधियाना में प्रिंसिपल के रूप में सेवाएं दीं। पंजाब काडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमिताभ पांडे ने अपने दिवंगत मित्र को याद करते हुए कहा, ‘प्रेम कठपालिया पंजाब काडर के आईएएस अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ जीवित सदस्य थे। मुझे एसडीएम के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग में प्रेम कठपालिया के अधीन काम करने का सौभाग्य मिला, जब वह संभागीय आयुक्त थे।’

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