निष्काम सेवा ही वरदान के समान : सुदीक्षा जी महाराज
विनोद लाहोट/निस
समालखा, 6 अक्तूबर
समालखा के जीटी रोड स्थित संत निरंकारी अध्यात्मिक स्थल पर 16,17 व 18 नवंबर को आयोजित होने वाले 77वें समागम की तैयारियां के लिए सेवा कार्यों का शुभारंभ रविवार को सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज व राजपिता रमित के कर कमलों से किया गया।
इस अवसर पर मिशन की कार्यकारिणी के सभी सदस्य, केंद्रीय सेवादल के अधिकारी और सत्संग के अन्य हज़ारों अनुयायी मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि 600 एकड़ में फैले इस विशाल समागम स्थल पर लाखों संतों के रहने, खाने-पीने, स्वास्थ्य और आने-जाने के साथ-साथ अन्य कई प्रकार की व्यवस्थाएं की जाती हैं, जिसके लिए पूरा महीना अनेक स्थानों से आकर भक्त निष्काम भाव से सेवारत रहते हैं। इस पावन संत समागम में हर वर्ग के संत एवं सेवादार महात्मा अपने प्रियजनों संग सम्मिलित होकर एकत्व के इस दिव्य रूप का आनंद प्राप्त करेंगे। इस वर्ष के समागम का विषय है -विस्तार, असीम की ओर।
समागम सेवा के शुभ अवसर पर विशाल सत्संग को संबोधित करते हुए सतगुरु माता जी ने फ़रमाया कि सेवा करते समय सेवा को भेदभाव की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए अपितु सदैव निरिच्छत, निष्काम भाव से ही की जानी चाहिए। सेवा तभी वरदान साबित होती है जब उसमें कोई किंतु, परंतु नहीं होता।