स्वयं से शुरुआत
गांधी जी गिरिडीह की सभा में लोगों से बात कर रहे थे, किसी ने सड़कों की खराब स्थिति और मरम्मत के लिए पैसे की कमी का मुद्दा उठाया। गांधीजी ने जवाब दिया कि जब तक लोग स्वयं श्रमदान नहीं करेंगे, तब तक यह समस्या हल नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि सड़कों का सुधार राष्ट्रीय संपत्ति का कार्य है और यदि लोग मिलकर काम करें तो यह संभव हो सकता है। गांधीजी ने उदाहरण देते हुए बताया कि ग्लासगो और जोहांसबर्ग में भी नागरिकों के सहयोग से महामारी पर काबू पाया गया। फिर, जब नगरपालिका के एक सदस्य ने यह कहा कि उनके पास सफाई कर्मचारियों के लिए पैसे नहीं हैं, तो गांधीजी स्वयं मेहतर का काम करने लगे। उनका संदेश था कि समस्याओं का समाधान बोलने से नहीं, स्वयं से शुरुआत करने से होता है। इस प्रेरणा से वहां की सड़कों और सार्वजनिक स्थलों की सफाई हो गई और गंदगी का निवारण हुआ। प्रस्तुति : रेनू सैनी