जांबाजों की मुस्तैदी से हासिल सुरक्षा कव
सतीश मेहरा
वर्तमान टेक्नोलॉजी के युग में किसी भी देश की सामरिक रणनीति में वायुशक्ति को सुदृढ़ करना बेहद आवश्यक है। इसी के मद्देनजर भारतीय वायुसेना का आधुनिकीकरण किया गया है जिससे देश का आसमानी सुरक्षा छत्र मजबूत हुआ है।
कल भारतीय वायुसेना अपनी स्थापना की 91वीं वर्षगांठ मना रही है। 8 अक्तूबर, 1932 में ब्रिटिशकाल के दौरान भारतीय वायुसेना की स्थापना की गई थी। उस समय इसका नाम अंग्रेज सरकार द्वारा रॉयल इंडियन एयरफोर्स रखा गया था। आजादी के बाद 1950 में इसका नाम भारतीय वायुसेना किया गया। अपने नौ दशक के गौरवशाली इतिहास में वायुसेना ने विभिन्न युद्धों, अभियानों, ऑपरेशनों और प्राकृतिक आपदाओं में जो अद्भुत कार्य के जरिये सफलता प्राप्त की है, उसे आज सैल्यूट करने का अवसर है।
भारतीय वायुसेना ने समय-समय पर अपनी क्षमता का प्रयोग करते हुए सुरक्षा के क्षेत्र में देश को प्रबलता प्रदान की है। बात बाह्य सुरक्षा की हो, आंतरिक सुरक्षा की हो या प्राकृतिक आपदा अवसर की, वायुसेना ने हर स्थिति में देश के नागरिकों को सुरक्षा प्रदान की है। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध, भारत-चीन युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन-विजय, कारगिल-युद्ध, कांगो-संकट, ऑपरेशन पुलमाई, ऑपरेशन पवन और 2019 में पाकिस्तान से पुलवामा का बदला लेने के लिए बालाकोट पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को अंजाम देकर भारतवासियों का दिल जीता है। इससे देशवासी निरंतर वायुसेना के जांबाजों के बुलंद हौसलों के कायल हुए हैं।
कल यानी आठ अक्तूबर को देश के वायुसेना केंद्रों पर ‘एयर शो’ का भव्य प्रदर्शन हो रहा है, जिसमें जांबाज़ पायलट विभिन्न लड़ाकू और अन्य विमानों के साथ हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं। इस समय भारतीय सेना में आधुनिकतम फाइटर विमान शामिल हैं जिनमें तेजस, जैगुआर, एमआईजी-27, आरपीए 50, सुखोई 30, मिराज 2000, मिग- 29, मिग-21, एचएएल-तेजस, व राफेल के साथ-साथ हेलीकॉप्टर ध्रुव, चेतक, चीता, चिनूक, एमआई-8, एमआई-17, एमआई-26, एमआई-25 एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर तथा एचएएल रुद्र शामिल हैं, जो किसी भी स्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तत्पर हैं। एचएएल कंपनी ने भारतीय तेजस विमान में तो कई बहुत ही घातक हथियार जोड़कर दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन जैसे बड़े-बड़े देशों में सनसनी पैदा कर दी है
इतना ही नहीं, निकट भविष्य में सुखोई, रफाल 35 जैसे मारक लड़ाकू विमान भी भारत में बनेंगे। इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड बिल्कुल तैयार है। भारत अब वायुयान के निर्माण में किसी देश पर निर्भर नहीं है, इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया का सपना भी साकार हुआ है। इस प्रकार से आकाशीय सामरिक क्षेत्र के मामले में भारत एक आत्मानिर्भर राष्ट्र होगा।
इस समय भारतीय सेना में लगभग डेढ़ लाख अधिकारी पायलट और सक्रिय जवान शामिल हैं। भारतीय वायुसेना को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना होने का गौरव प्राप्त है।
वायुसेना में महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वायुसेना में वर्तमान में डेढ़ दर्जन से भी अधिक महिला पायलट लड़ाकू विमानों को उड़ा रही हैं। इसके साथ-साथ तीनों सेनाओं यानी थलसेना, जलसेना और वायुसेना के अभियानों में कुल 145 महिला पायलट विभिन्न प्रकार के विमानों से आसमान को नाप रही हैं।
वर्तमान सरकार ने सामरिक महत्व को देखते हुए सेना के आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकीकरण का जो कार्य किया है उससे हमारी सेना मजबूत हुई है। सेना के अधिकारियों, जवानों को इसके अलावा ‘वन रैंक वन पेंशन’ के जरिये जो मान बढ़ाया गया है, उसे पूरी सैनिक बिरादरी का सकारात्मक प्रतिसाद मिला है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 में सेना के बजट में गत वर्ष की अपेक्षा 13 प्रतिशत से भी अधिक का इजाफा कर संकेत दिए हैं कि सेना में आधुनिकीकरण का अभियान और तेज होगा, जिससे देश की सीमाएं सुरक्षित होंगी।
नि:संदेह, स्थापना दिवस के जश्न के साथ-साथ उन सभी भारतीय वायुसेना के शहीद हुए जवानों को याद करने का भी अवसर है जिन्होंने विभिन्न युद्धों और अभियानों में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। सेनाओं की बदौलत ही हर भारतवासी अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहा है। भारतीय वायुसेना का ध्येय वाक्य है ‘नभः स्पृशं दीप्तम’ यानी गर्व से आकाश को छुओ। यही वाक्य हर भारतीय युवा के दिलो-दिमाग में देशभक्ति का जज्बा पैदा करता है। तभी युवा भारतीय वायु सेना में भर्ती होने के लिए लालायित रहते हैं।