मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

सेबी प्रमुख को समानांतर अतिरिक्त वेतन भी

08:31 AM Sep 03, 2024 IST
नई दिल्ली में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए। -प्रेट्र

नयी दिल्ली, 2 सितंबर (एजेंसी)
कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नये आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया कि बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी वह आईसीआईसीआई बैंक व प्रूडेंशियल से नियमित वेतन ले रही थीं और यह कुल राशि करीब 16.80 करोड़ रुपये है। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) के प्रमुख के रूप में बुच की नियुक्ति के मामले में स्पष्टीकरण देने की भी मांग की।
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि माधबी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्तूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और 2 मार्च, 2022 से इसकी अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, ‘माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं। उन्होंने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से भी पैसा लिया। इसके अलावा ईएसओपी और ईएसओपी का टीडीएस भी बैंक से ले रही थीं।’ उन्होंने कहा, कि यह सेबी के सेक्शन-54 का उल्लंघन है।
खेड़ा ने कहा कि 2021-2023 के बीच, वर्तमान सेबी अध्यक्ष को ईएसओपी पर टीडीएस भी प्राप्त हुआ था, जिसका भुगतान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 1.10 करोड़ रुपये किया गया था। उन्होंने कहा कि टीडीएस की राशि वेतन के तहत ली जाती है और यह सेबी की आचार संहिता का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह 50 लाख रुपये की आयकर चोरी का भी मामला है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चंद पूंजीपति मित्रों की मदद के लिए भारत के संस्थानों की स्वायत्तता व स्वतंत्रता को कुचलने की भरपूर कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘हमने सीबीआई, ईडी, आरबीआई, सीईसी- ये सब में देखा, अब हम सेबी में भी यही झेल रहे हैं।’

Advertisement

बैंक ने किया खंडन

कांग्रेस के आरोप पर आईसीआईसीआई बैंक ने कहा, ‘बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सेवानिवृत्ति लाभ के सिवाय कोई वेतन या ईएसओपी (कर्मचारी शेयर विकल्प योजना) नहीं दिया। उन्होंने 31 अक्तूबर, 2013 से प्रभावी सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था। हमारे नियमों के तहत ईएसओपी आवंटित किए जाने की तारीख से अगले कुछ वर्षों में मिलते हैं। बुच को ईएसओपी आवंटन किए जाते समय लागू नियमों के तहत बैंक कर्मचारियों के पास विकल्प था कि वे अधिकृत होने की तारीख से 10 साल की अवधि तक कभी भी अपने ईएसओपी का उपयोग कर सकते हैं।’

Advertisement
Advertisement