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राहत का मौसम

06:27 AM Oct 20, 2023 IST

ऐसे वक्त में जब पांच राज्यों में चुनाव सिर पर हैं और आम चुनाव भी दूर नहीं हैं, सरकारें और राजनीतिक दल लक्षित समूहों को लाभ पहुंचाने का श्रेय ले रहे हैं। विपक्षी नेता भी सब्जबाग दिखाने और असंभव को संभव बनाने के वादे कर रहे हैं तो केंद्र सरकार के हाथ में ऐसा बहुत कुछ है, जो बड़े जनसमूहों को फायदा पहुंचाता दिखा सके। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन वर्ष 2024-25 में छह रबी फसलों के लिये एमएसपी वृद्धि का फैसला लिया है। राजनीतिक व धार्मिक त्योहारों की बयार में केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि गेहूं समेत छह रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी में दो से लेकर छह प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। कहा जा रहा है कि केंद्र में राजग सरकार बनने के बाद एमएसपी में यह सबसे बड़ी वृद्धि है। सबसे ज्यादा वृद्धि मसूर की दाल की एमएसपी में 425 रुपये की गई है। निश्चित रूप से इसके मूल में सोच यही है कि किसान ज्यादा लाभ के लिये दलहन उत्पादन में वृद्धि करें और आम लोग आसानी से दाल-रोटी का जुगाड़ कर सकें। वहीं गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 150 रुपये की वृद्धि की गई है। ऐसे में इस एमएसपी वृद्धि का जहां तार्किक व वाजिब कारण है, वहीं पांच राज्यों के चुनावों के मद्देनजर किसानों को लुभाने के उपक्रम के तौर पर भी इस कदम को देखा जा रहा है। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि इस कदम से फसलों के विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा। यह भी कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर मसूर की दाल के समर्थन मूल्य में सबसे ज्यादा वृद्धि की गई है। इसके बाद राई व सरसों के लिये दो सौ रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। साथ ही जौ व चने की एमएसपी में भी वृद्धि हुई है। सरकार की दलील है कि एमएसपी को फसल की लागत की राष्ट्रीय औसत से कम से कम डेढ़ गुना स्तर पर निर्धारित करने का प्रयास हुआ है।
वहीं राजनीतिक व धार्मिक त्योहारों के माहौल में केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की झोली भरने की भी कोशिश की है। जहां सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों तथा सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में चार फीसदी की वृद्धि की है। जाहिरा तौर पर देश के करीब 48 लाख सेवारत केंद्रीय कर्मचारियों तथा 68 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिये महंगाई की चुभन अब कुछ कम होगी। साथ ही रेलवे के गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस देने की घोषणा की है। निस्संदेह बोनस की घोषणा से रेलवे के करीब 11 लाख गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को दिवाली से पहले ही लक्ष्मी कृपा का सुखद अहसास होगा। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने उत्पादकता आधारित बोनस लाभ से वंचित केंद्र सरकार के ग्रुप सी व गैर-राजपत्रित वर्ग में आने वाले ग्रुप बी के कर्मचारियों के लिये भी सात हजार रुपये तक के बोनस की घोषणा की है। यह यक्ष प्रश्न है कि सरकारी खजाने पर पड़ने वाले हजारों करोड़ रुपये के बोझ को अंतिम रूप से कौन वहन करेगा। देखना होगा कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी में वृद्धि की इस पहल से किसानों की आय दुगनी करने के वादे की किस हद तक पूर्ति होती है। वहीं सवाल यह भी कि एमएसपी का लाभ कितने फीसदी किसानों को वास्तव में मिल रहा है। वह आदर्श स्थिति होगी जब किसान की सभी फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में आएं। जिससे फसलों के विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा और बड़ा किसान वर्ग इसके लाभ के दायरे में आएगा। दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग के संकट की वजह से परंपरागत फसलों की उत्पादकता में कमी आने के चलते उन फसलों को बढ़ावा देने की जरूरत है जो कम बारिश व अधिक तापमान में ज्यादा उत्पादन करने में सहायक हों। इस दिशा में कृषि अनुसंधान संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों को शोध व अनुसंधान को बढ़ावा देना होगा। ताकि ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव से मुक्त रहने वाली नई फसलों के बीज तैयार करके किसान के नुकसान को कम किया जा सके।

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