‘शास्त्र, शस्त्र सनातन धर्म की मूल पहचान’
गुरुग्राम, 14 अक्तूबर (हप्र)
विजयादशमी पर स्थापना दिवस पर राष्ट्र सेविका समिति (आरएसएस) ने शस्त्र पूजन एवं पथ संचलन का भव्य आयोजन किया। पथ संचलन में 20 स्थानों से आई 350 से अधिक महिलाओं ने एक साथ कदम ताल कर अपनी एकता का प्रदर्शन किया। पथ संचलन के दौरान लोगों ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। इस दौरान घोष की स्वर लहरियां व पथ संचलन में तालमेल दिखायी दे रहा था। सेक्टर -10 सिधेश्वर स्कूल में आयोजित इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता संवर्धनी न्यास की राष्ट्रीय सचिव माधुरी मराठे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना विजयादशमी के दिन ही हुई है। आरएसएस अब अपनी शतायु पूरी करने जा रही है। यह हमारे लिए यह गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि शास्त्र और शस्त्र सनातन धर्म की मूल पहचान है। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में केवल शस्त्र पूजने से ही काम चलने वाला नहीं है। दशहरा मां दुर्गा की नौ दिन की उपासना के बाद आता है, मां दुर्गा की पूजा हम अपनी रक्त वाहिनी में शक्ति का संचार करने के लिए करते हैं। इसलिए अब भरत की नारी को अबला नहीं सबला बनना होगा। जिससे राष्ट्र रक्षा में नारी भी रानी लक्ष्मीबाई की भांति अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही मानेसर गवर्नमेंट काॅलेज की प्राचार्य डॉ़ सुनीता मालिक व मुख्य अतिथि विज्ञान भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ़ रंजना अग्रवाल ने भी नारी शक्ति को उनकी सनातन शक्ति को पहचानने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नारी जागरण के बिना भारत माता को विश्व गुरु नहीं बना सकते। इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत सह कार्यवाहिका प्रतिमा मनचंदा मौजूद रहीं।