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अपनों के करीब लाए स्क्रीन फ्री वैकेशन

08:03 AM May 14, 2024 IST

डॉ. मोनिका शर्मा
स्क्रीन की दीवार अब अपनों और अपने परिवेश, दोनों से दूर कर रही है। स्क्रीन फ्री वैकेशन मनाकर छुट्टियों में मिलने वाले खाली समय को यह दूरी मिटाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आगे चलकर घर के सभी सदस्यों के लिए यह बदलाव जीवनशैली का हिस्सा बनकर टेक्निकल गैजेट्स के सधे-संतुलित इस्तेमाल की आदत बन सकता है।

बातों में मन लगाएं
समर वैकेशंस को आपसी संवाद का मौसम बनाएं। बातों में मन लगाने की कोशिश की जाए। दादी-नानी के घर जाने की बात हो या अपने ही ठिकाने पर गर्मियों की छुट्टियां बिताने की योजना-अपनों से बतियाने के बहाने ढूंढिए। हरदम स्मार्ट फोन हाथ में रखने के बजाय अपनों के साथ को चुनिए। बातों में मन लगाने की कोशिश करने की बात इसीलिए कि हम सहज रूप से एक-दूसरे से बोलना तो मानो भूल ही चुके हैं।
हॉलिडे डेस्टिनेशन पर दृश्यों को देखें मनभर
अगर छुट्टियां बिताने के लिए किसी हॉलिडे डेस्टिनेशन पर जा रहे हैं तो भी यात्रा के दौरान मिलने वाले लोगों से बातचीत कीजिए। उस जगह के बारे में ऑनलाइन जानकारियां खोजने के बजाय वहां रहने वाले लोगों से संवाद कीजिए। तस्वीरें खींचिए पर दृश्यों को मनभर देखना न भूलिए। अकसर कैमरे या मोबाइल से तस्वीरें-वीडियो बनाने के चक्कर में हम प्रकृति या फिर किसी ऐतिहासिक इमारत का असल नजारा लेने से वंचित रह जाते हैं। यह कुछ नया सीखने-जानने से लेकर इंसानी व्यवहार को समझने और खुद अपने आप को ठहराव देने तक बहुत जरूरी हो चला है। तकलीफदेह है कि अब छुट्टियों का समय भी मस्ती, मेलजोल और मन की कहने-सुनने के बजाय स्क्रीन स्क्रॉलिंग में जा रहा है। इस पर लगाम लगाकर इन छुट्टियों में स्क्रीन फ्री समय बिताने और रिश्तों को पोसने की ठानें।
क्लासरूम में जाएं

ऑनलाइन क्लासेज कोरोना काल में जरूरत बनकर जिंदगी का हिस्सा बनीं थीं। लेकिन अब वह दौर गुजर गया। सब कुछ पहले की भांति सामान्य हो गया है। बच्चे हों या बड़े, सहूलियत भर के लिए स्क्रीन के माध्यम से कुछ सीखने की क्लासेज ज्वाइन करने से बचें। कुछ नया सीखना है तो बेहतर है कि खुद क्लासरूम में जाएं। लोगों से मेल-जोल वाली प्रैक्टिकल क्लासेज लेना भी स्क्रीन से दूरी बनाने में मदद करेगा। लोगों के बीच रहकर कुछ सीखना समग्र रूप से और भी बहुत कुछ सिखाता-समझाता है। साथ ही क्लास के दूसरे स्टूडेंट्स से मिलना विचारों और व्यक्तित्व में भी निखार लाता है। हॉबी क्लास ही सही, किसी भी क्लास में बैठने से हम ज्यादा सक्रिय और सजग बनते हैं। फ़ोकस्ड रहते हैं। सीखी जा रही गतिविधि को गंभीरता से लेने का मन और माहौल बनता है। बच्चे हों या फिर बड़े, आमतौर पर छुट्टियों में कुछ क्रिएटिव सीखने की क्लास ज्वाइन की जाती है। ऐसे में स्क्रीन से दूर रहना हमें ज्यादा रचनात्मक बनाता है। बेहतर आइडियाज़ हमारे मन में दस्तक देते हैं। साथ समय बिताने के लिए परिवार के छोटे-बड़े सदस्य एक साथ भी अपनी पसंद की कोई एक्टिविटी क्लास ज्वाइन कर सकते हैं।
परिवार से जुड़ाव
कहना गलत नहीं होगा कि मौजूदा दौर में स्क्रीन से दूर रहना यानी जिंदगी के करीब होना है। जिंदगी में सुंदर रंग भरने का काम हमारे अपने करते हैं। परिवार का साथ ही जिंदगी के हर पल को जीवंत बनाता है। अपनों का साथ न केवल सपने देखने और पूरा करने का उत्साह मन में भरता है बल्कि अपनी मंजिल तक पहुंचने के सफर में मार्गदर्शन भी देता है। कहीं बच्चे बड़ों के मन को ऊर्जा देते हैं तो कहीं बड़े नयी पीढ़ी के डिगते मन को थामते हैं। बावजूद इसके स्क्रीन की व्यस्तता ने लोगों को परिवार से दूर कर दिया है। इन छुट्टियों में यह तय करें कि स्क्रीन से दूर रहकर पारिवारिक जुड़ाव को फ़िर मजबूती दें। कुछ समय पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) सचिव हिमांशु गुप्ता ने भी कहा था कि ‘कोई भी गैजेट और स्क्रीन पर बिताया गया समय भाई-बहनों और परिवार के सच्चे प्यार की जगह नहीं ले सकता। इसलिए, सबसे महत्वपूर्ण चीज रिश्ते हैं।’ छुट्टियों में अवकाश के पल इस जुड़ाव की अहमियत समझने-समझाने का उपयुक्त अवसर बन सकते हैं। इसीलिए कहीं घूमने जाएं या घर में रहकर वक्त बिताएं, अपनों के साथ को जी भरकर जीने के लिए स्क्रीन फ्री समय बिताना बेहद आवश्यक है।
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