बाढ़ प्रभावित किसानों की समस्याओं पर विज्ञानियों ने किया विचार-विमर्श
करनाल, 30 अगस्त (हप्र)
उत्तर भारत में मानसून के प्रकोप और पहाड़ों में भारी बारिश से मैदानी क्षेत्र में नदियों के किनारे कृषि क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। बाढ़ ने इन जमीनों को खेती के लिए अनुपयोगी बना दिया है। बाढ़ग्रस्त भूमि में पानी के वेग के कारण अर्थव्यवस्था को एक और झटका लगा। किसानों की स्थिति देखते हुए उनकी समस्या के समाधान और सरकार को सुझाव देने के लिए केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल में क्षेत्रीय चैप्टर के संयोजक एवं पदमश्री प्रोफेसर एमएल मदान ने विषय में विशेषज्ञता रखने वाले अकादमी फेलो को आमंत्रित किया और गहन मंथन किया। इस अवसर पर करनाल के जीएसएफआरईडी अध्यक्ष और नयी दिल्ली स्थित एएसआरबी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. गुरबचन सिंह, आईसीएआर, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान और आईसीएआर-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एसके कामरा तथा अन्य विशेषज्ञ मौजूद थे। इस चर्चा में विस्तार विशेषज्ञ और राज्य सरकार के अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में करनाल चैप्टर ने यह भी तय किया कि 6 सितंबर को इस विषय पर एक ओर विचार-मंथन किया जाएगा, जिसमें भूमि उपयोग और फसल सिफारिशों के मुद्दे पर गहन विचार विमर्श किया जाएगा। विषय विशेषज्ञों, राज्य सरकार और हितधारकों के समक्ष ठोस सिफारिशें प्रस्तुत की जाएंगी।