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करोड़ों खर्च करके बनाए स्कूल, बच्चे टाट पर बैठने को मजबूर

08:27 AM Dec 09, 2024 IST
फतेहाबाद के जाखल के पीएम श्री स्कूल में फर्श पर बैठकर दीवार पर लगे डिजिटल बोर्ड से पढ़ाई करती छात्राएं। -हप्र

मदन लाल गर्ग/हप्र
फतेहाबाद, 8 दिसंबर
प्रदेश सरकार ने करीब 4 करोड़ रुपए खर्च करके विद्यालय का आलीशान भवन तो बना दिया, विद्यालय में उच्च स्तर की साइंस लैबोरेट्री भी बना दी, बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए स्कूलों को इंटरनेट, सोलर पैनल, स्वच्छ पेयजल तथा प्रत्येक कक्षा में 53 इंची एलईडी यानी डिजिटल बोर्ड सहित ढ़ाई किलोमीटर दूर से आने वाले बच्चों के लिए स्पेशल पीली बसें भी लगा दी।
इतना ही नहीं स्कूलों में बच्चों को रोजगार के काबिल बनाने के लिए करीब 15 तरह के विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण भी देने का प्रबंध कर दिया। लेकिन इतना सब कुछ करने के बाद सरकार बच्चों के बैठने का इंतजाम करना भूल गई। उनके लिए बैठने के लिए ड्यूल डेस्क की सुविधा कागजों में उलझकर रह गई और बच्चे गर्मी-सर्दी में बच्चे फर्श पर टाट बिछा कर बैठने को मजबूर हैं।
फतेहाबाद जिले में स्कूलों को पीएम श्री स्कूल का दर्जा देने का कार्य पिछले साल 2023 से शुरू किया गया। 2023 में पहले फेज में जिले में सात स्कूल भट्टू के शेखुपुर दड़ोली, भूना, नागपुर, फतेहाबाद, शक्करपुरा, लांबा तथा टोहाना के गाजुवाला तथा दूसरे फेज 2024में भी सात स्कूल जाखल, धागड़, हिजरावां खुर्द, बैजलपुर, भट्टू कलां, रत्ताखेड़ा तथा टोहाना के स्कूलों को पीएम श्री का दर्जा दिया गया। जिले में बनाए 14 पीएम श्री स्कूलों में आधे कन्या वरिष्ठ विद्यालय है।
इसके अलावा इन स्कूलों में लाखों रुपए के जरनेटर सेट भी भिजवा दिए, लेकिन उन्हें चलाने के लिए डीजल का बजट आज तक नहीं दिया गया, यहां तक कि कई स्कूलों में जरनेटर सेटों की फिटिंग भी नहीं की गई। यह हालात है जिले के जाखल कस्बे में बनाए गए पीएम श्री कन्या वरिष्ठ विद्यालय की।
जाखल में करीब 2 साल पहले बनाए गए स्कूल के नए भवन के बाद भी यहां पर छात्राओं के लिए बेंच उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। जिसके चलते स्कूल की करीब 450 छात्राओं को टाट पट्टी पर बैठकर ही पढ़ना पड़ रहा है। हालांकि स्कूल प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि शिक्षा विभाग अधिकारियों को स्कूल में बेंच उपलब्ध करवाए जाने की मांग ऑनलाइन पोर्टल पर एवं लिखित में भी भेजी जा चुकी है। मगर विभाग के अधिकारियों को इस बारे कोई जानकारी ही नहीं है। स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है कि वह टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। सर्दियों के मौसम में नीचे ठंडे फर्श पर बहुत परेशानी होती है। सबसे बड़ी बात है कि कक्षा में जो डिजिटल बोर्ड लगा हैं उसे फर्श से देखने के लिए गर्दन काफी ऊंची उठानी पड़ती है, जिससे उसमें दर्द होना शुरू हो जाता है।

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15 तरह के व्यावसायिक प्रशिक्षण

शिक्षा विभाग के अनुसार जिले के पीएम श्री स्कूलों सहित 66 स्कूलों में 15 तरह के व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किए जाते है। जिनमें कृषि, आईटी, शारीरिक शिक्षा एवं खेल, रिटेल मार्केटिंग, ऑटोमोबाइल, ब्यूटी एंड वेलनेस, हेल्थ केयर, बैंकिंग आदि शामिल है। असल में सरकार द्वारा पढ़ाई के साथ व्यवसाय में भी निपुण करने का मकसद है कि स्कूल से निकलने के बाद बच्चा स्वयं का व्यवसाय कर सके।

क्या कहते है डीईओ

जिला शिक्षा अधिकारी संगीता बिश्नोई का कहना है कि उनके कार्यालय ने मुख्यालय को 7502 ड्यूल डेस्क की डिमांड कर रखी है और विभाग के कहने पर पोर्टल पर भी डिमांड डाल दी है। उन्होंने बताया कि जाखल के अलावा कई प्राइमरी व हाई स्कूलों में ड्यूल डेस्क की जरूरत है।

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शिक्षा विभाग का अनदेखापन

फतेहाबाद जिले में 7502 ड्यूल डेस्क की डिमांड की गई है। लेकिन ऐसा नहीं है कि जिले के सरकारी स्कूलों में जितने बच्चे शिक्षा ले रहे हैं, उसके हिसाब से उपलब्ध ड्यूल डेस्क की संख्या डिमांड से मेल खाती हैं। क्योंकि काफी स्कूलों में डेस्क इतने ज्यादा है कि उनके लिए स्पेशल कमरे भरे पड़े है। असल में होता यह है कि किसी साल में बच्चों के अनुसार एक स्कूल को ड्यूल डेस्क अलॉट हो जाते है। उसके बाद आसपास के गांवों में स्कूल खुलने या अन्य किसी कारण से बच्चों की संख्या कम हो जाती है लेकिन डेस्क उतने ही रहते हैं। विभाग ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कर रखी कि जिस स्कूल में जरूरत से अधिक डेस्क है, उन स्कूलों से डेस्क उठाकर जिस स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए ड्यूल डेस्क नहीं उनमें भिजवा दिया जाए। एक अध्यापक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई स्कूलों में तो फालतू डेस्क के कारण कमरे भरे पड़े हैं और कई स्कूलों में बच्चों के लिए डेस्क नहीं है। इसके लिए विभाग को पुस्तकों की तरह व्यवस्था बनानी चाहिए।

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