पीजीआई में हरियाणा के डॉक्टरों की पाठशाला, जानलेवा रक्त रोगों के इलाज की सीख
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 12 मर्च
पीजीआई चंडीगढ़ में इन दिनों हरियाणा के डॉक्टरों की एक खास पाठशाला चल रही है, जहां उन्हें खतरनाक रक्त रोगों के निदान और इलाज की बारीकियां सिखाई जा रही हैं। 10 से 13 मार्च तक चलने वाली इस कार्यशाला में थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और हीमोफीलिया जैसी बीमारियों से निपटने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण से हरियाणा के मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अब उन्हें बेहतर इलाज के लिए दूर-दराज के अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
हरियाणा के 40 से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टर ले रहे हैं प्रशिक्षण
रक्त विज्ञान विभाग में आयोजित इस कार्यशाला में 40 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हो रहे हैं, जिनमें पैथोलॉजिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञ और जिला नोडल अधिकारी शामिल हैं। ये डॉक्टर रोहतक, गुरुग्राम, अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, हिसार, पंचकूला, यमुनानगर, जींद, सिरसा, पानीपत और करनाल सहित हरियाणा के प्रमुख शहरों से आए हैं।
गंभीर रक्त रोगों का सही समय पर इलाज ही असली बचाव
कार्यशाला के दौरान डॉक्टरों को विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है, जिसमें लैब में परीक्षण करने के तरीके, मरीजों के लक्षणों की पहचान और सही समय पर इलाज की तकनीकें शामिल हैं। इन आनुवंशिक बीमारियों का समय पर निदान न केवल रोगियों की जिंदगी बचा सकता है, बल्कि प्रभावित बच्चों के जन्म को भी रोका जा सकता है।
हरियाणा राज्य रक्त संक्रमण परिषद की संयुक्त निदेशक डॉ. चेरी गुप्ता ने कहा, "सरकार गंभीर आनुवंशिक विकारों के इलाज और रोकथाम को प्राथमिकता दे रही है। गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग, डे-केयर केंद्रों की स्थापना और उन्नत सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है ताकि मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े।"
मरीजों को दूर नहीं जाना पड़े, इसलिए डॉक्टरों को किया जा रहा प्रशिक्षित
पीजीआईएमईआर के रक्त विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. रीना दास ने कहा कि इन रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे यह जरूरी हो जाता है कि हरियाणा के हर जिले में ऐसे विशेषज्ञ मौजूद हों जो समय पर सही इलाज दे सकें। उन्होंने कहा, "पिछले साढ़े तीन दशकों से पीजीआई में इन मरीजों का इलाज हो रहा है, लेकिन यह जरूरी है कि हरियाणा के मरीजों को अपने जिले में ही विशेषज्ञ सेवाएं मिलें। इसी मकसद से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।"