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विद्यालय प्रबंधन ने ठेंगे पर रखे केंद्र के निर्णय, सुप्रीम आदेश

08:31 AM Nov 27, 2024 IST

सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 26 नवंबर
सुप्रीमकोर्ट और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के बाद हरियाणा सरकार ने प्रदेश में स्कूल बसों को लेकर कई तरह के दिशा निर्देश जारी किए थे। लेकिन अधिकांश दिशा-निर्देशों का कोई पालन नहीं हो रहा। हरियाणा में कई जगह स्कूलों बसें सड़क हादसे का शिकार हो चुके हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार ने स्कूल बसों के लिए एक पॉलिसी बनाई थी। इसके तहत स्कूलों की सभी बसों में जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे लगाने के दिशा निर्देश दिए गए थे लेकिन अधिकांश स्कूलों ने इन आदेशों का पालन नहीं किया। न तो सीसीटीवी कैमरे लगाए न ही जीपीएस का प्रबंध किया गया। इसके अलावा बसों में चालक बिना वर्दी के मिले। बसों में अन्य सुरक्षा उपाय भी नहीं थे।
जारी रहेगा जांच अभियान


हरियाणा राज्य बाल आयोग संरक्षण सदस्य अनिल कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश अनुसार सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत आज यमुनानगर में हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने प्राइवेट स्कूलों में औचक निरीक्षण किया। हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम के साथ जिला शिक्षा विभाग, ट्रांसपोर्ट विभाग व पुलिस विभाग की टीम भी मौजूद रही। टीम ने कुल 12 स्कूल बसों के चालान किए तो वही दो बसों को इंपाउंड भी किया। उन्होंने कहा कि अगले 2 दिन टीम यमुनानगर के सभी स्कूलों में जाकर स्कूल बसों की जांच करेगी। स्कूलों में हुए औचक निरीक्षण और बड़ी कार्यवाही के बाद प्राइवेट स्कूल संचालकों में हड़कंप मच गया है।
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जांच में मिली कई खामियां

हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग व यमुनानगर प्रशासन की संयुक्त टीम ने जब स्कूल बसों की जांच की तो इनमें कई प्रकार की खामियां पाई गई। टीम ने औचक निरीक्षण के दौरान दो स्कूलों में बसों की जांच की। कमियां मिलने पर दोनों ही स्कूल की सभी बसों अनफिट पाई गई। इनके चालान किए तो वही दो बसों को इंपाउंड भी किया गया। टीम अगले दो दिन यमुनानगर में भी स्कूल बसों की जांच करेंगी। सबसे बड़ी लापरवाही तो यह थी कि एक स्कूल बस की अगले टायर का नट टूटा हुआ था जो कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकता था। तो वहीं कई बसों में फास्ट एड बॉक्स तो किसी में फायर उपकरण भी मौजूद नहीं थे। सभी बसों में प्रेशर हॉर्न भी लगे हुए थे जो सरेआम हाईकोर्ट के नियमों की अवेहलना कर रहे हैं। इसके बाद स्कूल संचालकों को इन कमियां को जल्द दूर करने के निर्देश दिए गए हैं।

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