For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

एसबीआई 21 तक पूरा विवरण दे , विशिष्ट संख्याएं भी बताये

07:51 AM Mar 19, 2024 IST
एसबीआई 21 तक पूरा विवरण दे   विशिष्ट संख्याएं भी बताये
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़। -प्रेट्र
Advertisement

नयी दिल्ली, 18 मार्च (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीसरी बार भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को फटकार लगाते हुए उसे मनमाना रवैया न अपनाने और 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित सभी जानकारियों का पूरी तरह खुलासा करने को कहा। एसबीआई को विशिष्ट बॉन्ड संख्याएं भी बतानी होंगी, जिससे खरीदार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल का खुलासा होगा।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘एसबीआई के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बृहस्पतिवार (21 मार्च) को शाम पांच बजे से पहले हलफनामा दाखिल कर यह बताएं कि बैंक ने चुनावी बॉन्ड की उसके पास उपलब्ध सभी जानकारियों का खुलासा कर दिया है और कोई भी जानकारी छिपायी नहीं है।’ पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग एसबीआई से जानकारियां मिलने के बाद अपनी वेबसाइट पर तुरंत इन्हें अपलोड करे।
बीते शुक्रवार को अदालत ने बैंक को अपने निर्देशों के अनुपालन में ‘यूनीक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर’ का खुलासा न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा था कि एसबीआई उन संख्याओं के खुलासे के लिए कर्तव्यबद्ध था। पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘हमने एसबीआई से सभी जानकारियों का खुलासा करने के लिए कहा था, जिसमें चुनावी बॉन्ड संख्याएं भी शामिल हैं। एसबीआई विवरण का खुलासा करने में मनमाना रुख न अपनाए।’
एसबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि उन्हें चुनावी बॉन्ड की जानकारियों का खुलासा करने में कोई दिक्कत नहीं है, ऐसा नहीं लगना चाहिए कि बैंक अदालत के साथ ‘खिलवाड़’ कर रहा है। याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दावा किया कि प्रमुख राजनीतिक दलों ने दानदाताओं का विवरण नहीं दिया है, केवल कुछ दलों ने दिया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि प्रायोजित एनजीओ आंकड़ों में हेरफेर कर रहे हैं।

Advertisement

उद्योग संगठनों की याचिका पर सुनवाई से इनकार

बॉन्ड विवरण के खुलासे के खिलाफ उद्योग निकायों- एसोचैम और सीआईआई की गैर-सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील देने की कोशिश की तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘आप अभी बहस न करें। अभी आपके सहयोग की जरूरत नहीं।’ रोहतगी ने उद्योग निकायों द्वारा दायर आवेदनों का हवाला दिया तो सीजेआई ने कहा कि हमारे बोर्ड में ऐसा कोई आवेदन नहीं है। रोहतगी ने कहा कि अब ब्योरा देने के लिए कैसे कहा जा सकता है। इस पर सीजेआई ने कहा कि हमने 12 अप्रैल, 2019 से विवरण एकत्र करने का निर्देश दिया था, उस वक्त सभी को नोटिस दिया गया था। यही कारण है कि हमने अंतरिम आदेश से पहले बेचे गये बॉन्ड का खुलासा करने के लिए नहीं कहा, यह संविधान पीठ का एक सचेत निर्णय था।

बार एसोसिएशन अध्यक्ष के पत्र पर उठाये सवाल शीर्ष अदालत ने फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने वाले ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी. अग्रवाला के पत्र पर विचार करने से भी इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा, ‘एक वरिष्ठ अधिवक्ता होने के अलावा, आप एससीबीए के अध्यक्ष हैं। आप प्रक्रिया जानते हैं। आपने मेरी स्वत: संज्ञान संबंधी शक्तियों को लेकर पत्र लिखा है। इसका उल्लेख करने का औचित्य क्या है? ये सभी प्रचार संबंधी चीजें हैं। हम इसकी अनुमति नहीं देंगे। मुझे और कुछ कहने के लिए मजबूर न करें।’

Advertisement

जानकारी देने से इनकार पर राजनीतिक दलों के अपने-अपने कारण या बहाने !
कई राजनीतिक दलों ने विभिन्न कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए चुनावी बॉन्ड देने वालों का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया है, जबकि कुछ ने कहा कि उन्हें ‘ड्रॉप बॉक्स’ या डाक के माध्यम से चंदा मिला है, जिन पर किसी का नाम नहीं था। चुनाव आयोग को लिखे पत्र में भाजपा ने चंदा देने वालों का खुलासा न करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम तथा आयकर अधिनियम के संबंधित पहलुओं का हवाला दिया है। कांग्रेस ने एसबीआई को पत्र लिखकर चुनावी बॉन्ड दाताओं, धनराशि, तारीख और उस बैंक खाते का विवरण मांगा, जिसमें ये जमा किए गए थे। एसबीआई ने कांग्रेस को जवाब दिया कि चुनावी बॉन्ड का विवरण राजनीतिक दलों के पास उपलब्ध है और बैंक खाते की जानकारी आयोग के साथ साझा की गई है। समाजवादी पार्टी ने बताया कि उसे एक करोड़ रुपये के 10 बॉन्ड बिना किसी नाम के डाक से प्राप्त हुए थे। ‘लॉटरी किंग’ कहे जाने वाले सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग से लगभग 77 प्रतिशत चंदा हासिल करने वाली द्रमुक ने दानदाताओं के नामों की जानकारी वाले कॉलम में ‘तत्काल उपलब्ध नहीं’ लिखा है।
तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि चुनावी बॉन्ड पार्टी कार्यालय में भेजे गए थे। विभिन्न व्यक्तियों की ओर से दूतों के माध्यम से कुछ बॉन्ड भेजे गए थे, जिनमें से कई ने गुमनाम तरीके से दान किया। वहीं शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने बॉन्ड देने वालों का विवरण प्रस्तुत करने में
असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी ने विवरण नहीं रखा था और न ही कोई रसीद जारी की थी। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने कहा कि 1.5 करोड़ रुपये के दान के बारे में विवरण आसानी से उपलब्ध नहीं है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड ने आयोग को बताया है कि किसी ने 2019 में उसके कार्यालय में 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड वाला एक लिफाफा दिया था, जिसे पार्टी ने भुना लिया।

प्रधानमंत्री हफ्ता वसूली की योजना थी यह : कांग्रेस

कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड मामले को लेकर सोमवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि यह ‘प्रधानमंत्री हफ्ता वसूली योजना’ थी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह आरोप भी लगाया कि 21 ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई के बाद चुनावी बॉन्ड के रूप में चंदा दिया। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि चुनावी बॉन्ड घोटाला कितना बड़ा है, यह लगातार स्पष्ट होता जा रहा है, हर गुजरते दिन के साथ इससे जुड़े चौंकाने वाले उदाहरण सामने आ रहे हैं। उन्होंने दावा किया, ‘10 नवंबर 2022 को ईडी ने अरबिंदो फार्मा के निदेशक पी सरथ चंद्र रेड्डी को गिरफ्तार किया। पांच दिन बाद, 15 नवंबर को, अरबिंदो फार्मा ने चुनावी बॉन्ड के रूप में 5 करोड़ रुपये का चंदा दिया।’

Advertisement
Advertisement