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सावित्री जिंदल के सामने महाजन का रिकॉर्ड तोड़ने की चुनौती

10:48 AM Oct 06, 2024 IST
हिसार में शनिवार को निर्दलीय सावित्री जिंदल परिवार के साथ वोट डालने के बाद अंगुली पर लगी स्याही दिखाते हुए। -हप्र

कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 5 अक्तूबर
हरियाणा के गठन के बाद हिसार विधानसभा सीट पर अब तक कुल 13 आम चुनाव हो चुके हैं, लेकिन यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सिर्फ एक ही प्रत्याशी पूर्व मंत्री ओमप्रकाश महाजन दो बार जीते हैं, इसके अलावा हिसार ने हर निर्दलीय प्रत्याशी को नकारा है। देश की सबसे अमीर महिला पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल के सामने अब स्वर्गीय ओमप्रकाश महाजन के रिकॉर्ड को तोड़ना ही सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि अब सावित्री जिंदल के अलावा कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास राड़ा, भाजपा प्रत्याशी डॉ. कमल गुप्ता, भाजपा के दो बागी प्रत्याशी गौतम सरदाना, तरुण जैन सहित सभी 21 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है।
खास बात यह है कि ओमप्रकाश महाजन को देखकर ही जिंदल परिवार ने राजनीति में कदम रखा था। दरअसल ओमप्रकाश महाजन की साबुन बनाने की फैक्ट्री थी और ओमप्रकाश जिंदल की स्टील फैक्ट्री थी। हिसार में मीट-टू-प्रेस के दौरान ओमप्रकाश महाजन ने कहा था कि उन्होंने सोचा कि उनसे छोटी फैक्ट्री का मालिक मंत्री बन सकता है तो वह क्यों नहीं और राजनीति में आ गए। ओमप्रकाश महाजन यहां से पहली बार वर्ष 1982 में विधायक बने और वर्ष 1987 के चुनाव में हरि सिंह सैनी ने ओमप्रकाश महाजन को शिकस्त दी और पहली बार विधायक बने। इसके बाद जब जिंदल परिवार राजनीति में आया तो ओमप्रकाश जिंदल ने साल 1991 में हरियाणा विकास पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर पहला चुनाव लड़ा और कांग्रेस से प्रत्याशी ओमप्रकाश महाजन को शिकस्त दी। इसके बाद वर्ष 1996 में उन्होंने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बने। वर्ष 1996 के हिसार विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश महाजन ने हरि सिंह सैनी को हराया था।
इसके बाद वर्ष 2000 में ओमप्रकाश जिंदल ने फिर हिसार विधानसभा से चुनाव लड़ा और हरि सिंह सैनी को शिकस्त देकर विधायक बने। इसके बाद वर्ष 2005 का चुनाव भी हरि सिंह को शिकस्त देकर जीता लेकिन बाद में उनकी हेलिकॉप्टर हादसे में मृत्यु हो गई और सावित्री जिंदल ने हिसार का उपचुनाव जीता। इसके बाद सावित्री जिंदल ने वर्ष 2009 का चुनाव भी जीता। इस समय ओमप्रकाश महाजन, हरि सिंह सैनी और ओमप्रकाश जिंदल तीनों दुनियां में नहीं हैं। ओमप्रकाश महाजन जो पंजाबी नेता माने जाते थे, उनका स्थान गौतम सरदाना हासिल करने की जुगत में हैं। वे भाजपा की टिकट से मेयर बने थे और इस चुनाव में बागी हो गए और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। इसी प्रकार हरि सिंह सैनी, जो सैनी समाज के नेता माने जाते थे, उनका स्थान रामनिवास राड़ा लेने की जुगत में है। हरि सिंह सैनी का राड़ा परिवार ने हमेशा विरोध किया। ऐसे में सैनी के समर्थक कितना राड़ा के साथ आए हैं, यह वक्त बताएगा।
वर्ष 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस की स्नेहलता विधायक बनी जो पहली महिला विधायक भी थीं। इसके बाद यहां से कांग्रेस प्रत्याशी चार बार और जीते जिनमें एक बार सावित्री जिंदल और दो बार उनके पति स्वर्गीय ओमप्रकाश जिंदल थे। हालांकि सावित्री जिंदल ने कांग्रेस की टिकट पर एक उपचुनाव भी जीता और ओमप्रकाश जिंदल एक बार हरियाणा विकास पार्टी से भी विधायक बने। इसके अलावा यहां से भाजपा का प्रत्याशी दो बार (पिछले दोनों चुनावों में डॉ. कमल गुप्ता), और भारतीय क्रांतिकारी दल, जनता पार्टी व लोकदल के प्रत्याशी भी एक-एक बार जीत चुके हैं।

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