For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

कुल की विरासत बचाना अब बड़ी चुनौती कुलदीप की

07:06 AM May 20, 2024 IST
कुल की विरासत बचाना अब बड़ी चुनौती कुलदीप की
Advertisement

दिनेश भारद्वाज

ग्राउंड जीरो

  • भजनलाल ने मोहम्मदपुर रोही गांव से आकर आदमपुर को बनाया था अपना घर
  • आदमपुर हलके में भाजपा प्रत्याशी की हार-जीत से तय होगा भव्य बिश्नोई का भविष्य
  • हिसार और सिरसा में बिश्नोई वोट पर नजरें
  • कुलदीप बिश्नोई हिसार में रणजीत सिंह के लिए मांग रहे वोट
  • बड़े भाई चंद्रमोहन सिरसा में कुमारी सैलजा के लिए कर रहे प्रचार

मोहम्मदपुर रोही और आदमपुर। ये दो ऐसे नाम हैं, जिनका ना केवल गहरा जुड़ाव है, बल्कि दोनों ही हरियाणा व राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर चमक चुके हैं। मोहम्मदपुर रोही वही गांव है, जहां हरियाणा के भूतपूर्व सीएम स्व. चौ. भजनलाल का परिवार 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय आकर बसा था। कुछ वर्षों बाद भजनलाल आदमपुर मंडी में शिफ्ट हो गए। पिछले 56 वर्षों से आदमपुर में भजनलाल का ही ‘राज’ है। जी हां, 1968 से लेकर अभी तक इस विधानसभा क्षेत्र में भजनलाल परिवार से ही विधायक बनते रहे हैं।
2005 में राजनीतिक हालात ऐसे बदले कि उसके बाद से भजनलाल और परिवार की राजनीति पटरी पर नहीं लौट पाई। भजनलाल ने अपने छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई को अपनी राजनीतिक विरासत सौंप दी थी। पिता के निधन के बाद कुलदीप बिश्नोई ने बहुत बार कोशिश की लेकिन वे सत्ता को फिर से अपने इलाके में नहीं ला सके।
खुद की पार्टी का पहले कांग्रेस में विलय किया और यहां भी बात नहीं बनी तो फिर भाजपा में शामिल हो गए। यानी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार व दावेदार रहे कुलदीप बिश्नोई और उनकी परिवार अब भाजपा में अपने लिए संभावनाएं तलाश रहा है।
बेशक, उनका बेटा भव्य बिश्नोई भाजपा के टिकट पर आदमपुर से विधायक भी बन गया, लेकिन मंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। कुलदीप ने इस बात को लेकर सब्र कर लिया कि बेटा मंत्री नहीं बना तो उन्हें हिसार से लोकसभा का टिकट जरूर मिलेगा। जब भाजपा ने लोकसभा चुनाव उनके बजाय भूतपूर्व सीएम चौ. देवीलाल के बेटे चौ. रणजीत सिंह को लड़वाने का निर्णय लिया, तो कुलदीप और उनके समर्थकों को बड़ा झटका लगा। बिश्नोई वोट बैंक ने नाराजगी भी दिखाई। लेकिन जल्द ही उन्हें समझ भी आ गया कि यह विरोध भविष्य में महंगा पड़ सकता है।
अब कुलदीप बिश्नोई आदमपुर हलके में प्रचार भी कर चुके हैं। उन्होंने रणजीत सिंह के चुनाव की कमान संभाली भी है, लेकिन हलके के लोगों की नाराजगी से निपटना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है। भव्य बिश्नोई के उपचुनाव के दौरान भी कुलदीप को जिस तरह अपने ही ‘घर’ में विरोध झेलना पड़ा था, उससे स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव में आदमपुर हलके से रणजीत सिंह को मिलने वाले मतों से भजनलाल की राजनीतिक विरासत और भव्य बिश्नोई के भविष्य का फैसला होगा।
अगर यह कहा जाए कि हिसार लोकसभा क्षेत्र का चुनाव कुलदीप के लिए भजनलाल की राजनीतिक विरासत को बचाने वाला चुनाव है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मोहम्मदपुर रोही से आमदपुर शिफ्ट होने के बाद यहां अनाजमंडी में भजनलाल ने बरसों तक आढ़त का काम भी किया। उनकी दो दुकानें आज भी मंडी में हैं। अब इन दुकानों को तोड़कर भव्य तरीके से बनाया जा रहा है। मंडी के लोगों का भी साफ तौर पर कहना है कि हिसार लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ कुलदीप और उनके परिवार का भी भविष्य जुड़ गया है। कांग्रेस में रहते हुए वे मुख्यमंत्री पद का खुलकर दावा करते थे, लेकिन भाजपा में इस तरह की बात भी नहीं की जा सकती।
कई दिग्गजों को दी थी भजनलाल ने पटखनी
चौ. भजनलाल के विजय रथ को रोकने के लिए 1972 में हेवीवेट चौ. देवीलाल ने उन्हें आदमपुर से चुनौती दी। भजनलाल का इलाके में इतना प्रभाव था कि वह देवीलाल को भी पटखनी देने में कामयाब रहे। 1991 से 1996 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भजनलाल को 1996 के चुनाव में घेरने के लिए भूतपूर्व सीएम चौ. बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह ने उन्हें आदमपुर में चुनौती दी, लेकिन वह भी कामयाब नहीं हो सके। भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. गणेशी लाल भी 2000 में भजनलाल के सामने जीत नहीं सके। देवीलाल के बेटे चौ. रणजीत सिंह ने 2008 के उपचुनाव में भजनलाल को चैलेंज किया, लेकिन वह भी उनके दबदबे के सामने ठहर नहीं सके। वहीं 2009 के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ भी भजनलाल के हाथों चुनाव हारे।
मोहम्मदपुर रोही ने दिए सात विधायक
यह ऐसा गांव है, जिसने प्रदेश को एक मुख्यमंत्री, एक डिप्टी सीएम समेत सात विधायक व दो सांसद दिए। भजनलाल जहां मुख्यमंत्री बने, वहीं उनके बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई डिप्टी सीएम रहे। भजनलाल हिसार, फरीदाबाद व करनाल से सांसद भी रहे। उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई भिवानी व हिसार से सांसद रहे। आदमपुर हलके से भजनलाल के अलावा उनकी पत्नी जसमा देवी, बेटा कुलदीप, पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई, पोता भव्य बिश्नोई विधायक बने। वहीं भजनलाल के भतीजे दूड़ाराम बिश्नोई वर्तमान में फतेहाबाद से भाजपा विधायक हैं।
दोनों भाई ही हुए आमने-सामने
भजनलाल के दोनों बेटे इस बार चुनाव में आमने-सामने हैं। बड़े बेटे व पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई सिरसा से कांग्रेस उम्मीदवार कुमारी सैलजा के लिए प्रचार करने में जुटे हैं। वह मोहम्मदपुर रोही सहित बिश्नोई बाहुल्य गांवों में जाकर सैलजा के लिए वोट मांग चुके हैं। भाजपा ने चंद्रमोहन के असर के बाद कुलदीप बिश्नोई का भी इन गांवों में दौरा करवाया। कुलदीप हिसार से भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह के लिए भी वोट मांग रहे हैं।

Advertisement

भजनलाल ने 1960 से शुरू किया सियासी सफर : देश के विभाजन के समय भजनलाल का परिवार पाकिस्तान से आकर फतेहाबाद के मोहम्मदपुर रोही गांव में आकर बसा था। भजनलाल के पिता खेराज राम मांझू पूरे परिवार के साथ मुस्लिमों के इस गांव में आये। यहां से मुसलमान पाकिस्तान चले गए थे। भजनलाल ने कुछ वर्ष गांव में बिताए, लेकिन बाद में वह आदमपुर में बस गये। वह आदमपुर इलाके से पंजाब के लुधियाना में घी की सप्लाई किया करते थे। उनका कपड़ों का भी काम था। साथ ही, वह राजनीति में भी एक्टिव हो गए। भजनलाल ने 1960 में राजनीतिक सफर की शुरुआत आदमपुर ग्राम पंचायत के पंच के चुनाव से की। 1961 में हिसार ब्लाक-।। के लिए जिला परिषद सदस्य चुने गए और 1965 में जिला परिषद के अध्यक्ष रहे। हरियाणाा में विधानसभा का पहला चुनाव 1967 में हुआ और आदमपुर हलके से हरि सिंह डाबड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1968 में उपचुनाव के जरिये भजनलाल पहली बार आदमपुर से विधानसभा पहुंचे।

कुल की विरासत बचाना अब बड़ी चुनौती कुलदीप की

गांव में पुराना मकान

मोहम्मदपुर रोही गांव में भजनलाल का पुराना घर।

मोहम्मदुपर रोही गांव में भजनलाल का पुराना मकान आज भी मौजूद है। इसमें उनके भतीजे व फतेहाबाद के विधायक दूड़ाराम बिश्नोई की माता मैना देवी (93 वर्षीय) रहती हैं। दूड़ाराम भी गांव आते रहते हैं। उनके भाई उग्रसैन बिश्नोई सुबह-शाम गांव आते हैं। उनके घर के सामने ही फसल खरीद के लिए हर सीजन में अस्थाई खरीद केंद्र बनता है। अहम बात यह है कि इस केंद्र पर आढ़त का काम दूड़ाराम बिश्नोई का ही होता है।

Advertisement

26 वर्षों बाद चुनाव से दूरी

भजनलाल परिवार के सामने यह पहला मौका है, जब 26 वर्षों के बाद वह लोकसभा चुनाव से बाहर है। 1998 से लेकर 2019 तक भजनलाल का परिवार लगातार लोकसभा चुनाव लड़ता रहा है। हालांकि 1998 से पहले भी भजनलाल सांसद रहे, लेकिन 1991 से 1996 तक मुख्यमंत्री बनने के चलते उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। 1998 में भजनलाल करनाल से सांसद बने, लेकिन 1999 का चुनाव हार गए। इसके बाद 2004 में कुलदीप बिश्नोई भिवानी से सांसद बने। 2009 में भजनलाल हिसार से हजकां टिकट पर सांसद बने। 2011 मेें हिसार में हुए उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई ने जीत हासिल की, लेकिन 2014 के चुनाव में इनेलो के दुष्यंत चौटाला के हाथों हारे। 2019 में कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई ने हिसार से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह तीसरे नंबर पर रहे। अब 2024 के चुनाव में उन्हें चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल सका।

मोहम्मदपुर के विकास में धांधली

भजनलाल के गांव मोहम्मदपुर में पेयजल संकट गहराया हुआ है। इसे आदर्श गांव घोषित किया हुआ है। इतना ही नहीं, कागजों में इस गांव में सीवरेज व्यवस्था भी है, लेकिन ग्राउंड पर ऐसा नहीं है। झलणिया रोड पर जोहड़ को भी कागजों में पक्का और झील के रूप में दिखाया गया है। जोहड़ वास्तव में दयनीय स्थिति में है। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बाद भी विकास कार्यों में हुई धांधली की जांच नहीं हुई। ये ऐसे मुद्दे हैं, जिनकी वजह से ग्रामीणों का एक बड़ा वर्ग स्थानीय विधायक दूड़ाराम बिश्नोई से नाराज भी है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×