धर्मांतरण के विरुद्ध सरदार जस्सा सिंह ने अनेक युद्ध लड़े : डॉ. विद्यार्थी
जींद, 7 मई (हप्र)
सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया ने सप्त सिंधु क्षेत्र में नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली जैसे आक्रमणकारियों की हर उस चाल का विरोध किया, जिसके द्वारा वह भारत का इस्लामीकरण करना चाहते थे। यह बात हरियाणा साहित्य और संस्कृति अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय विचार गोष्ठी में अकादमी के निदेशक डॉ. डीडी विद्यार्थी ने कही। इस राष्ट्रीय विचार गोष्ठी का आयोजन सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया के जन्म दिवस के अवसर पर किया गया था, जिसका विषय ‘सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया से आर्य समाज तक सप्त सिंधु क्षेत्र में विसंस्कृतिकरण’ था। डॉ. विद्यार्थी ने कहा कि सप्त सिंधु क्षेत्र वह क्षेत्र है, जिसमें पाकिस्तान का पंजाब, सिंध, फक्तुनिस्तान, बलूचिस्तान का प्रदेश आता है। इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा धर्मांतरण किया गया था, जो तलवार के बल पर करवाया गया था। इसे रोकने के लिए सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया ने अनेक युद्ध किए। डॉ. रणवीर कौशल ने इस मौके पर कहा कि सप्त सिंधु क्षेत्र में हुए कार्यों की समीक्षा की जानकारी जरूरी है। उन्होंने इस दिशा में डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी द्वारा लिखित पुस्तक ‘सप्त सिंधु क्षेत्र में आर्य समाज’ की समीक्षा की। डॉ.धर्मवीर आर्य ने कहा कि हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है, जो सागर के समान है, जिसमें सभी विचारधाराए समाई हुई हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी द्वारा लिखित पुस्तक सप्त सिंधु क्षेत्र में आर्य समाज विस्थापन और पुनर्स्थापना के द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि भारत विभाजन के समय में आर्य समाज ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। डॉ. अजय आहलूवालिया ने जस्सा सिंह आहलूवालिया की जीवनी पर प्रकाश डाला तो रमेश आहलूवालिया ने सरदार जस्सा सिंह के योगदान और आर्य समाज के योगदान का उल्लेख किया। भाजपा नेता विजयपाल सिंह आहलूवालिया ने भी अपने विचार रखे।