उपेक्षा का शिकार पिहोवा का सरस्वती तीर्थ
पिहोवा, 7 जुलाई (निस)
लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक पिहोवा का सरस्वती तीर्थ इन दिनों भारी उपेक्षा का शिकार है। सरस्वती तीर्थ पर जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे पड़े हैं। इतना ही नहीं तीर्थ के जल में भी गंदगी तैर रही है। हैरानी की बात है कि प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान ही नहीं है। एक ओर सरकार इस सरस्वती को लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे कर रही है। परंतु पिहोवा स्थित सरस्वती की दुर्दशा को देखकर ऐसा लगता है कि यह करोड़ों रुपये का बजट केवल कागजों पर ही खर्च किया जा रहा है। सरस्वती तीर्थ पर लगे गंदगी के ढेरो के कारण तीर्थ पर आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था को गहरी ठेस पहुंच रही है। श्रद्धालु तीर्थ की दुर्दशा को देखकर प्रशासन को कोसते हुए चले जाते हैं।
गत शुक्रवार 5 अप्रैल को अमावस पर्व पर 50000 से भी अधिक श्रद्धालु सरस्वती तीर्थ पर आए थे। तीन दिनो से सरस्वती तीर्थ के आसपास पालिका ने सफाई नहीं की तथा न ही वहां से कूड़ा-कर्कट उठाने का प्रयत्न किया। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस सरस्वती सरोवर पर पालिका ने तीन दिनों से कोई सफाई ही नहीं की जबकि शहर के पालिका प्रधान ब्राह्मण समुदाय से जुड़े हुए तीर्थ पुरोहित हैं। इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि नगर के तीन पार्षद तीर्थ पुरोहित समुदाय से ही जुड़े हुए हैं।
वर्तमान में पालिका में पांच पार्षद ब्राह्मण व साधु समाज से जुड़े हुए हैं। इसके बावजूद इस सरस्वती की अनदेखी की जा रही है। सरकार सरस्वती के नाम पर वोटो की राजनीति कर रही है। भाजपा सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल में सरस्वती तीर्थ का केवल कागजों में ही विकास हुआ।