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Sambhal violence: न्यायिक आयोग के सदस्यों ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा

06:30 PM Dec 01, 2024 IST

संभल, 1 दिसंबर (भाषा)

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Sambhal violence: उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले महीने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के दो सदस्यों ने रविवार को मस्जिद सहित शहर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आयोग के प्रमुख एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा और सेवानिवृत्त आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी अरविंद कुमार जैन ने कड़ी सुरक्षा के बीच मस्जिद के पास कोट गर्वी इलाके में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया।

आयोग के तीसरे सदस्य पूर्व आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अमित मोहन प्रसाद इस दौरान मौजूद नहीं थे। मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने बाद में बताया, “आज (रविवार को) जांच आयोग के अध्यक्ष और एक अन्य सदस्य ने घटनास्थल का दौरा किया। उनका मुख्य उद्देश्य स्थल का निरीक्षण करना था।”

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अधिकारी ने बताया, “उन्होंने उन क्षेत्रों का दौरा किया जहां गड़बड़ी हुई थी। टीम ने घटनास्थल एवं मस्जिद की जांच की और वहां मौजूद कुछ लोगों से बात की। टीम फिर से दौरा करेगी और दौरे का पूरा कार्यक्रम घोषित किया जाएगा। वे निश्चित रूप से दोबारा आएंगे।”

उन्होंने बताया, “संभल में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है। फिलहाल, जिलाधिकारी के आदेश 10 दिसंबर तक प्रभावी हैं और उसके बाद किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। हम साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया में हैं और अब तक इसमें शामिल 400 व्यक्तियों की पहचान कर चुके हैं।”

सिंह उस आदेश का हवाला दे रहे थे, जिसके तहत कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिंसा प्रभावित संभल शहर में नेताओं, सामाजिक संगठनों या जनप्रतिनिधियों सहित बाहरी लोगों के सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना प्रवेश पर 10 दिसंबर तक रोक लगाई गई है। इस बीच, शाही जामा मस्जिद के इमाम आफताब हुसैन वारसी ने कहा, “टीम करीब 15 मिनट तक रुकी और मस्जिद का निरीक्षण किया।”

मस्जिद प्रबंध समिति के सचिव मसूद फारूकी ने कहा, “टीम ने हमसे कुछ नहीं पूछा। वे केवल जामा मस्जिद देखने आए थे और घटनास्थल का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि वे बाद में बयान लेंगे।” आयोग के सदस्यों ने हालांकि सुबह के दौरे के समय मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उनके साथ मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह, पुलिस उपमहानिरीक्षक मुनिराज जी, संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार भी थे।

रविवार को ही संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इकबाल महमूद ने 24 नवंबर की हिंसा के पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की। पुलिस के अनुसार, उनके बेटे सुहेल इकबाल हिंसा के आरोपियों में शामिल हैं। पुलिस ने संभल से सपा के सांसद जिया उर रहमान और 2750 से अधिक अन्य लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है, जिनमें से ज्यादातर अज्ञात हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं उनके दुख में शामिल होने आया हूं। अल्लाह इन बच्चों को जन्नत में जगह दे। वे शहीद हुए हैं और पूरा मुस्लिम समुदाय मस्जिद की खातिर कुर्बानी देने के लिए हमेशा तैयार रहता है। यहां जो कुछ हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

विधायक ने मृतकों के परिवारों से मुलाकात के बारे में पूछे गये एक सवाल पर कहा कि वे अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए उनके पास गए और उनकी बातें सुनीं। महमूद ने कहा, “(सपा का) एक प्रतिनिधिमंडल कल आने वाला था, लेकिन जिलाधिकारी ने 10 दिसंबर तक यहां प्रतिबंध लगा दिए हैं। उसके बाद प्रतिनिधिमंडल फिर आएगा और सभी के घर जाकर संवेदना व्यक्त करेगा।” उन्होंने कहा, “यह प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय अध्यक्ष (अखिलेश यादव) की ओर से भेजा जा रहा है। हालांकि हम उनके प्रियजनों को वापस नहीं ला सकते लेकिन हम घोषणा के अनुसार सहायता प्रदान करेंगे, जिसमें मृतकों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये प्रदान करना शामिल है।”

इस बीच, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को संभाल में हुई हिंसा की घटना के पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेगा। कांग्रेस की संभल शहर इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद तौकीर अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि संभल हिंसा के पीड़ितों से मिलने के लिए सोमवार अपराह्न दो बजे 19 सदस्यीय दल मृतकों के परिजनों से मिलने आएगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल संभल पहुंचेगा। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता आराधना मिश्रा और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी प्रमुख रूप से शामिल रहेंगे। संभल में अदालत के आदेश पर मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किए जाने के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और अनेक अन्य घायल हो गए थे। सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर दिया गया था जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद स्थल पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।

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