मिठास वाला दिलकश शहर समरकंद
अमिताभ स.
उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद रेलवे स्टेशन से बुलेट ट्रेन पकड़ कर, महज 2 घंटे में समरकंद होते हैं। ताशकंद से हम समरकंद की दूरी करीब 370 किलोमीटर है, जो बुलेट या कहें स्पीडी ट्रेन बिना रुके अधिकतम 230 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज रफ्तार से तय करती है। ट्रेन हाई-फाई है। टाइम पास के लिए स्क्रीन पर मैजिक ट्रिक्स दिखाए और उन्हें करने के तरीके सिखाए जाते हैं।
समरकंद यानी मीठा फल
उज्बेकिस्तान सेंट्रल एशिया का देश है। इसका दूसरा बड़ा शहर समरकंद दुनिया के प्राचीनतम शहरों में शुमार है। इतिहास बताता है कि ईसा पूर्व 329 में एलेग्जेंडर द ग्रेट ने इस पर कब्जा जमाया। फिर कई सिंहासनों से होते 1220 में खूंखार लड़ाकू चंगेज खां के हाथों में आ गया। अर्से बाद यह तैमूर बादशाही की राजधानी बनकर उभरा। बहुत बाद, 1871 में, समूचा देश सोवियत संघ का राज्य बन गया। सोवियत संघ के दौर में ही यहां थियेटर और यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई।
समरकंद के नाम का मतलब है मीठा फल। उज्बेक भाषा में फल को ‘समर’ और मीठा को ‘कंद’ कहते हैं। जैसा नाम है, समरकंद वैसा है भी। समरकंद के मोहल्लों के घर-घर में अंगूर की बेलें जरूर होती हैं। घर-आंगन में अंगूर की बेल उगाना शुभ माना जाता है। गलियों में भी फलों से झूलते पेड़ों की भरमार है। अंगूर, आड़ू, सेब, आलूबुखारा वगैरह के तो ढेरों पेड़ हैं। मोहल्लों में हाथों से तोड़-तोड़ कर ताजे फल खाने का निराला मज़ा है।
फल तो फल, ड्राईफ्रूट्स या कहें मेवों की बड़ी मंडी भी समरकंद की शान है। नाम है ‘सीओब बाज़ार’ और है तैमूर के जमाने से। ‘सीओब’ का मतलब होता है ब्लैक वॉटर। असल में, बाज़ार का नामकरण बगल में बहती सीओब नदी से हुआ है। नदी का पानी काला यानी गंदा है, इसलिए सीओब कहलाता है। वैसे, समरकंद में एक और ज़राशौफ नाम की नदी भी बहती है। मंडी के भीतर एक से एक सटे स्टालों की भरमार है और खरीदारों की भी। बादाम की ढेरों वैरायटी है, तो अखरोट और किशमिश भी कई तरह की है। खुमानी, केसर, मेवे की गजक वगैरह भी खूब बिकती है। लोग चाय पीने के शौकीन हैं। तम्बाकू की खेती होती है। सिगरेट का उत्पादन भी होता है।
सड़कों पर ट्राम, बसें..
समरकंद की सड़कों पर दौड़ती ट्राम देखकर यूरोपीय शहरों का ख्याल आ जाता है। ट्राम अभी दो साल पहले ही 2017 में दौड़नी शुरू हुई है। अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट में पीले रंग की टैक्सियां हैं और मिनी बसें भी हैं। ट्राम फिलहाल 100 किलोमीटर के रूट पर है। है सस्ती-मोटे तौर पर, किराया 1200 सोम (करीब 8 रुपये) प्रति 20 किलोमीटर है। कई देशों के शहरों में जगह-जगह पब्लिक स्वीमिंग पूल बने हैं, ताकि लोग तैर सकें। लेकिन समरकंद में बड़े-बड़े ‘हमाम’ हैं। हमाम में स्टीम बाथ, स्पा वगैरह का लुत्फ उठा सकते हैं।
बच्चों को पढ़ाना-लिखाना लाज़िमी है। सात साल की उम्र से स्कूली शिक्षा का श्रीगणेश होता है। स्कूल में 9वीं कक्षा तक पढ़ाई होती है, आगे 3 साल कॉलेज में। पढ़ाई-लिखाई एकदम मुफ्त है, लेकिन बच्चों को स्कूल दाखिल न करवाने वाले अभिभावकों को 5,00,000 सोम (1500 सोम अपने 10 रुपये के बराबर हैं) सालाना के हिसाब से जुर्माना भरना पड़ता है। सभी रूसी स्कूल हैं, अंग्रेजी स्कूल नहीं हैं। इसलिए अंग्रेजी पढ़ी-पढ़ाई नहीं जाती। ज्यादातर लोग रूसी और उज्बेक भाषा ही समझते, बोलते और लिखते हैं। पहला गर्ल्स कॉलेज 1954 में बना है।
रेगिस्तान स्क्वेयर का जलवा
समरकंद की सबसे शानदार सड़क का नाम मिर्जा उल्बेक स्ट्रीट है। उधर खासमखास चौक-चौराहों में फोक सराय स्क्वेयर का रुतबा सबसे ऊपर है। चौक के बीचोंबीच ऊंचे चबूतरे पर, बादशाह आमिर तैमूर की विशाल-भव्य कांस्य प्रतिमा सजी है। सिंहासन पर सीना ताने बैठे आमिर तैमूर को सैलानी देख-देख दंग होते हैं, फ़ोटो खिंचवाने से भी नहीं चूकते। सामने रेगिस्तान प्लाजा होटल है, तो दूसरी तरफ गुर एमियर मजोलिम यानी तैमूर का मकबरा। आमिर तैमूर की मौत 1405 में हुई, फिर यहीं दफन किया गया। फिरोजी रंग से सजे मकबरे की शोभा देखने लायक है। किसी नायाब इमारत से कम नहीं लगता। मकबरे का घंटों इधर-उधर से दीदार करना और फोटो खींचना समरकंद आए सैलानियों की पहली पसन्द है।
सैलानियों की दूसरा बड़ा आकर्षण रेगिस्तान स्क्वेयर है। क्या रंग-रूप है, पास और दूर से देख-देख मन नहीं भरता। स्क्वेयर में आजू-बाजू 3 एक-सी इमारतें खड़ी हैं। आमने-सामने इमारतों के नाम उलोबेक मदरसा और शेरदौर मदरसा है। एक साल 1420 में बनी है, तो दूसरी 1638 में। बीच की इमारत 1570 में बनाई गई। शेरदौर मदरसे का जैसा नाम है, वैसे ही इसके फ्रंट द्वार पर दो शेरों की भव्य कलाकृतियां शोभित हैं। इन मदरसों का पुराना साझा नाम त्रिलोकोली मदरसा था। मदरसा 1924 से बंद है, तब से म्यूजियम में तब्दीला हो चुका है। समरकंद समेत समूचे उज्बेकिस्तान में, सोवियत संघ के राज के दौरान तमाम मदरसे बंद कर दिए गए, ताकि सभी बच्चों को समान स्कूली शिक्षा प्रदान की जा सके।
उधर दीनामो स्टेडियम 1917 से आज भी खेलकूद के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सीओब बाज़ार की पैदल दूरी पर बीवी खानून का मकबरा वीरान-सा पड़ा रहता है। बीवी खानून बादशाह आमिर तैमूर की सबसे छोटी बीवी थी, लेकिन उसका औहदा सबसे ऊंचा था। पढ़ी-लिखी थी और खूबसूरत तो खैर थी ही।
नजदीक ही चिमगान माउंटेन
नजदीक ही चिमगान माउंटेन भी कम हसीन नहीं है। करीब 100 किलोमीटर दूर है, जहां सड़क सफर से करीब पौने 2 घंटे में पहुंचते हैं। पहाड़ हैं 1900 मीटर ऊंचाई पर। सर्दियों में तो बर्फ से ढकी चोटियां एकदम स्विट्ज़रलैंड का नज़ारा पेश करती हैं। रास्ता भी मोहक है-दोनों ओर चैरी, सेब और आड़ू के खेत आते हैं। चोटी पर चढ़ने के दो तरीके हैं-एक, केबल कार और दूसरा, फोर व्हील बाइक (कोट बाइक कहते हैं)। केबल कार खुली चेयर कार है, जो 10 मिनट में 900 मीटर ऊंचाई तक ले जाती है। जबकि कोट बाइक से उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर, ऊपर पहुंचने में 20 मिनट लगते हैं। दोनों जरियों से ऊपर पहुंचने का अपना अलग रोमांच है।
यहीं से 20 मिनट की सड़क दूरी पर चार बाग लेक क्या दिलकश है। उगाम और जकाल नाम के दो पहाड़ों के बीच मीलों फैली लम्बी-चौड़ी झील को निहारते रहने का जी करता हैं। झील गैर कुदरती है और हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लांट के लिए बनाई गई है। बोटिंग, फैरी, स्पीड बोटिंग वगैरह एक से एक वॉटर एक्टिविटीज का दिलचस्प ठिकाना कह सकते हैं। लेक के किनारे-किनारे बांस के पर्देदार कमरे बनाए गए हैं, जहां आराम फरमाने या खाने-पीने के लिए बड़ी-बड़ी चारपाइयां (चारपाइयां ज़रा हट कर हैं, इसलिए ‘सौरी’ कहलाती हैं) बिछी हैं।
कहां है, कैसे जाएं
* समरकंद 1928 तक सोवियत संघ के उज्बेक रिपब्लिक राज्य की राजधानी था। उसके बाद राजधानी ताशकंद शिफ्ट हो गई। साल 1991 में उज्बेकिस्तान आजाद होने के बाद भी राजधानी ताशकंद ही है।
* समरकंद की आबादी महज 6 लाख है।
* करेंसी सोम है। भारतीय 1 रुपये में 150 सोम आते हैं।
* दिल्ली से समरकंद सीधी उड़ान नहीं है, हालांकि वहां एयरपोर्ट है। ताशकंद से प्लेन, ट्रेन या सड़क के रास्ते समरकंद पहुंच सकते हैं। इससे पहले दिल्ली से ताशकंद का हवाई सफर करीब साढ़े 5 घंटे में तय होता था, हालांकि हालिया सालों में पाक एयरस्पेस खुलने से साढ़े 3 घंटे लगते हैं।
* सितंबर, 2022 में शंघाई सहयोग संगठन के आठ देशों का राष्ट्राध्यक्ष सम्मेलन समरकंद में आयोजित किया गया था। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ अहम बैठक हुई थी।