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मिर्गी का दौरा पड़ने पर सुरक्षा के उपाय

09:04 AM Feb 14, 2024 IST
मिर्गी का दौरा पड़ने पर सुरक्षा के उपाय
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डॉ. ए.के. अरुण
मिर्गी एक क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमें मस्तिष्क असामान्य रूप से काम करता है और बार-बार दौरे पड़ते हैं। दौरे मस्तिष्क की समस्याओं के लक्षण हैं। ये अचानक हो सकते हैं और मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि, बेहोशी, और लंबे समय तक आक्षेप यानी रोगी के शरीर के अनियंत्रित रूप से हिलने का कारण बन सकते हैं।

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दौरे की पहचान

मिर्गी का दौरा पड़ने पर बेहोश हो जाना या एकदम से गिर जाना एक सामान्य लक्षण है। इसके अलावा व्यक्ति का किसी बात पर कोई भी जवाब न देना, अपने अंगों पर नियंत्रण खोना, मांसपेशियां सिकुड़ जाना, कुछ महसूस न कर पाना, व्यक्ति के अंगों का जकड़ना, सचेत न रहना, इत्यादि से भी पहचान होती है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर!

क्या हो इलाज

एंटी-एपिलेप्टिक दवाओं के सेवन से दौरों की संख्या को कम तो किया जा सकता है लेकिन स्थाई उपचार नहीं है। दौरे को रोकने के लिए वेगस तंत्रिका उत्तेजना की मदद से बिजली द्वारा गर्दन से लेते हुए तंत्रिका को भी उत्तेजित किया जाता है। जिन लोगों पर दवाओं का असर नहीं होता डॉक्टर उन्हें केटोजेनिक आहार यानी कार्बोहाइड्रेट वाले आहार लेने का सुझाव भी देते हैं।

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सावधानी

दौरा पड़ने पर शांत रहें और उस व्यक्ति के साथ रहें। उन्हें सुरक्षित रखें और चोट से बचाएं। उनके सिर के नीचे कुछ नरम रखें और किसी भी तंग कपड़े को ढीला कर दें। दौरा ख़त्म होने के बाद, उन्हें करवट से लिटाएं। यदि उनके मुंह में भोजन या तरल पदार्थ है, तो उन्हें तुरंत करवट से लिटाना चाहिये। होमियोपैथी में मिर्गी के दौरे का अच्छा इलाज है। इलाज लंबा चलता है।

छोटी-सी लौंग में बड़े-बड़े गुण

दालचीनी में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह आपका वजन कम करने के साथ-साथ पेट से जुड़ी समस्याओं को भी कम करने में मदद करती है। दालचीनी इम्युनिटी को भी बढ़ाती है। रोजाना खाली पेट दालचीनी पीने से आपके जोड़ों का दर्द कम हो जाता है। दरअसल दालचीनी में एंटी इन्फ्लामेटरी तत्व होते हैं। जो दिमाग के आंतरिक टिशूज में आई सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा ये अल्जाइमर, ब्रेन ट्यूमर, मल्टीपल स्केलोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से भी छुटकारा दिलाती है। दालचीनी में कौमारिन नामक यौगिक होता है। जो खून को पतला करने में मदद करता है। दालचीनी और लौंग में बहुत ही शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट कंपाउंड पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में फायदा मिलता है। दालचीनी और लौंग में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो डायबिटीज के मरीजों में सूजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। लौंग खाना पुरुषों के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि यह अंडकोष के फंक्शन को बूस्ट करती है, जिससे टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ता है। दालचीनी और लौंग में बहुत ही शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट कंपाउंड पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में फायदा मिलता है।

जीवनशैली बदलने से याददाश्त की संभाल

आजकल युवाओं में भूलने की बीमारी बढ़ती जा रही है। इस बीमारी को डिमेंशिया या अल्जाइमर कहा जाता है। आइए जानते हैं आखिर इतनी कम उम्र में इस बीमारी की वजह क्या होती है। शायद आपको मालूम नहीं कि मानसिक अवसाद धीरे-धीरे आपकी ब्रेन मेमोरी को खोखला करता है। दरअसल ज्यादा स्ट्रेस लेने की वजह से लोग डिमेंशिया और अल्जाइमर के शिकार हो रहे हैं। भूलने की बीमारी के सामान्य कारण उम्र बढ़ना, दवा के दुष्प्रभाव, आघात, विटामिन की कमी,मस्तिष्क कैंसर और मस्तिष्क के संक्रमण,और कई अन्य विकार और रोग हैं। तनाव,अधिक काम,अपर्याप्त आराम आदि सभी अल्पकालिक स्मृति में बाधा डालते हैं। कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव, अस्वास्थ्यकर आहार या डिहाइड्रेशन भी शामिल हैं। इन कारणों का ध्यान रखने से स्मृति से जुड़ी समस्याओं को हल करने में मदद मिल सकती है। याददाश्त को सुरक्षित रखने और बेहतर बनाने का सबसे अच्छा तरीका अच्छी जीवनशैली चुनना, नियमित व्यायाम करना, तनाव कम करना, संतुलित भोजन और पर्याप्त नींद है। नयी भाषा सीखकर या ब्रेन टेस्टिंग जैसे खेल खेलकर भी दिमाग को स्वस्थ रख सकते हैं।

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