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जनसरोकारों का शासन

04:00 AM Dec 12, 2024 IST

एक बार सम्राट हर्षवर्धन ने प्रयागराज में जरूरतमंदों को दान देते हुए अंततः अपने सभी आभूषण और वस्त्र भी त्याग दिए। हर्ष को अपनी प्रजा से अत्यधिक प्रेम था। उन्हें लगातार अपने राज्य में प्रजा का हाल-चाल लेते हुए ही देखा जाता था। सैन्य अभियानों, प्रशासनिक दौरों या धार्मिक उद्देश्यों के लिए लगातार यात्रा करना हर्ष के व्यक्तिगत आचरण का हिस्सा था। हर्ष ने दिन को तीन अवधियों में विभाजित किया था, जिनमें से एक को सरकारी मामलों और दो को धार्मिक कार्यों के लिए समर्पित किया। हर्ष को दिन अपने काम के लिए बहुत छोटा लगता था, और वह अच्छे कामों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में सोना और खाना खाना भी भूल जाते थे। बाणभट्ट ने हर्षचरित में सम्राट हर्ष के शासन का उल्लेख इस प्रकार किया है कि उन्होंने अपनी बहन राजश्री की कूटनीतिक और राजनीतिक प्रतिभा को भी सम्मान दिया और बहन के साथ मिलकर शासन किया।

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प्रस्तुति : पूनम पांडे

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