हकीकत बनेगा पहाड़ों की रानी शिमला में रोपवे
शिमला, 24 अक्तूबर(हप्र)
पहाड़ों की रानी व पर्यटन नगरी और हिमाचल की राजधानी शिमला में रोपवे जल्द ही हकीकत बनेगा। शिमला में प्रस्तावित दुनिया के दूसरे सबसे लंबे रोपवे के लिए टेंडर प्रक्रिया आरंभ हो गई है। ऐसे में इस महत्वाकांक्षी और अनोखे प्रोजेक्ट के जल्द ही हकीकत बनकर जमीन पर उतरने का रास्ता साफ हो गया है।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज शिमला में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि 1734 करोड़ रुपये की लागत वाली तारादेवी-शिमला रोपवे परियोजना शिमला-परवाणू रोपवे परियोजना सहित अन्य रोपवे परियोजनाओं के लिए एक अनूठी और ट्रेंड सेटर परियोजना होगी। उन्होंने कहा कि रोपवे हिमाचल का भविष्य है और पर्यटन क्षेत्र में अन्य विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के रोपवे का एक मजबूत नेटवर्क आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रिया जैसे देश में 25,000 रोपवे हैं। अग्निहोत्री ने कहा कि न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की वित्तीय सहायता से निर्मित होने वाला 14 किलोमीटर लंबा शिमला रोपवे, जो देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे है, अत्याधुनिक होगा। इसमें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे और एनडीबी से अनुमति के बाद अग्रिम निविदाएं आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तथा मार्च 2025 में इस पर काम शुरू होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि 13 स्टॉपेज वाले शिमला रोपवे में 660 ट्रॉलियां होंगी और इसकी क्षमता प्रति घंटे 6000 यात्रियों को ले जाने की होगी। पहला स्टेशन तारादेवी में बनेगा। इसके बाद जूडिशियल कॉम्पलेक्स चक्कर, टूटीकंडी पार्किंग, न्यू आईएसबीटी टूटीकंडी, रेलवे स्टेशन, ओल्ड आईएसबीटी शिमला, लिफ्ट, सचिवालय छोटा शिमला, नव-बहार, संजौली, आईजीएमसी, आइस स्केटिंग रिंक और 103 सुरंग नीयर होटल चेतन पर 13 स्टेशन बनाए जाएंगे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 39 किलोमीटर लंबी शिमला-परवाणू रोपवे परियोजना के लिए सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और इसमें छह स्टेशन होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि रोपवे परियोजनाएं हिमाचल के लिए संजीवनी हैं, जो न केवल शहरों में भीड़भाड़ कम करेंगी बल्कि प्रदूषण पर भी लगाम लगाएंगी।
बस जितना होगा किराया : अग्निहोत्री
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि रोपवे का किराया बस के आसपास होगा। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को पांच साल में पूरा करने की डेडलाइन रखी गई है, जबकि इसके पहले चरण को ढाई साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनकर तैयार है और इसे एनडीबी को सौंप दिया दिया गया है। इस रोपवे में 20 फीसदी हिमाचल की इक्विटी होगी। 8 फीसदी लोन और 72 फीसदी ग्रांट होगी।
ट्रैफिक कन्जेशन होगी खत्म
पर्यटक सीजन में शिमला में ट्रैफिक कंजेशन की वजह से कोई भी आदमी चंडीगढ़ से तारादेवी आसानी से पहुंच जाता है, लेकिन तारा देवी से शिमला तक 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में कई कई घंटे लग जाते हैं। ये स्थिति खासकर सेब सीजन, न्यू ईयर, क्रिसमस और समर टूरिस्ट सीजन के दौरान होती है। ऐसे में रोपवे बनने से शहरवासियों को फायदा होगा।