Robert Vadra शिकोहपुर जमीन घोटाला : रॉबर्ट वाड्रा ईडी के सामने पेश, बोले– '20 साल से कुछ नहीं मिला, डरने वाला नहीं हूं'
उज्ज्वल जलाली/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल
गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 7.5 करोड़ में खरीदी गई ज़मीन जब 58 करोड़ में बेची गई, तो एजेंसियों के कान खड़े हो गए। इसी को लेकर सोमवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कार्यालय पहुंचे। मामला पुराना है, लेकिन जांच की आंच अब और तेज हो चुकी है।
वाड्रा से ये पूछताछ शिकोहपुर जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई, जिसमें उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी पर भारी वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है। ईडी को शक है कि इस जमीन की खरीद-फरोख्त के जरिए काले धन को सफेद किया गया।
2008 में उनकी कंपनी ने यह ज़मीन ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीदी थी और कुछ समय बाद उसे डीएलएफ जैसी रियल एस्टेट कंपनी को बेचा गया। फायदे की रकम और दस्तावेजों की परतें ईडी को चौंका रही हैं।
लेकिन रॉबर्ट वाड्रा का रुख उतना ही सख्त है जितना जांच एजेंसियों का। उन्होंने कहा, “जब भी मैं जनता की आवाज़ बनता हूं, सरकार मुझे दबाने की कोशिश करती है। 20 साल हो गए, कुछ नहीं मिला... और अब भी कुछ नहीं मिलेगा। भाजपा ईडी जैसी संस्थाओं का राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। मैं डरने वाला नहीं हूं।”
सूत्रों के अनुसार, वाड्रा का बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किया गया है। इससे पहले वह 8 अप्रैल को पेश नहीं हुए थे, जिसके बाद दोबारा समन जारी किया गया।
क्या है मामला?
यह मामला हरियाणा के शिकोहपुर गांव में हुई एक जमीन खरीद से जुड़ा है, जिसे लेकर ईडी को आशंका है कि सौदे की आड़ में काली कमाई को सफेद किया गया। ईडी पहले ही इस डील से जुड़े कुछ दस्तावेजों की जांच कर चुकी है और अब सीधे वाड्रा से सवाल-जवाब करना चाहती है।
पहले भी घिर चुके हैं वाड्रा
यह पहला मौका नहीं है जब रॉबर्ट वाड्रा जांच एजेंसियों के घेरे में आए हैं। इससे पहले भी वह एक अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी के सामने पेश हो चुके हैं। वाड्रा, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और राहुल गांधी के बहनोई हैं, इसलिए मामला राजनीतिक रूप से भी काफी संवेदनशील माना जा रहा है।