नदी की सीख
07:11 AM Feb 20, 2024 IST
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एक बार शिक्षक ने बच्चों से पूछा, ‘छात्रो, कल हम सारा दिन नदी किनारे थे तो आपको कैसा लगा?’ ‘नदी का पानी शीतल था’ इस तरह सभी का जवाब एक-सा था। मगर एक बालक ने कहा, ‘कल मैंने समझा कि नदी हमें हमेशा आगे बढ़ाना सिखाती है यानी नदी की तरह हमें हमेशा बहते ही रहना है। जिस प्रकार नदी अपना रास्ता खुद ढूंढ़ लेती है, वैसे ही हमें भी अपना रास्ता खुद ही बनाना है। रास्ते में चाहे कितनी भी रुकावटें, कितनी भी मुश्किलें क्यों न आयें, हमें रुकना नहीं है, थकना नहीं है जब तक हमें सागर रूपी सफलता न मिले। जो नदी रुक जाती है वो बस एक तालाब या सरोवर बनकर रह जाती है।’ तब शिक्षक ने कहा, ‘बच्चो यह जीवन एक अपार सम्भावनाओं की बहती नदी के समान है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप बाल्टी लेकर खड़े हैं या एक कटोरी। प्रस्तुति : मुग्धा पांडे
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