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परिवहन सेवा में भी हैं हक सुरक्षित

10:57 AM Feb 13, 2024 IST

श्रीगोपाल नारसन
एक बार एक सज्जन रोडवेज की बस में सवार हुए और उन्होंने कंडक्टर को 5 रुपये देकर टिकट लिया, टिकट उस समय साढ़े तीन रुपये का था,इसलिए कंडक्टर ने डेढ़ रुपये टिकट के पीछे लिख दिए। लेकिन जब गंतव्य पर पहुंचने पर उन्होंने अपना डेढ़ रुपया मांगा तो कंडक्टर ने उक्त रुपये वापस करने से मना कर दिया। पैसेंजर द्वारा विभागीय शिकायत करने पर भी जब उनका डेढ़ रुपया वापस नहीं मिला तो एक जागरूक उपभोक्ता होने के नाते उन्होंने हरिद्वार की उपभोक्ता अदालत में उक्त शिकायत दर्ज करा दी। उपभोक्ता अदालत ने शिकायतकर्ता व रोडवेज डिपो का पक्ष सुनने के बाद उपभोक्ता की शिकायत को सही पाया और रोडवेज डिपो को आदेश दिया कि वह उपभोक्ता की शेष राशि वापस करे।

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सुरक्षित सड़क मार्ग की जिम्मेदारी

इसी प्रकार का मामला चालकों के सुरक्षित व अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कों पर यात्रा करने के अधिकार का है। जो बेहतर निर्माण और रखरखाव से जुड़ा है। केरल में एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने फैसला सुनाया कि दोष दायित्व अवधि (डिफेक्ट लायब्लिटी पीरियड) के दौरान सड़क में गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के लिए सड़क बनाने वाला ठेकेदार भी जिम्मेदार है। ऐसा इसलिए माना गया क्योंकि सेवा प्रदाता सरकारी विभाग भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में आते हैं। उपभोक्ता आयोग ने ठेकेदार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एक दुर्घटना में घायल हुए मोटर चालक को मुआवजा देने के दायित्व से बाहर रखने की मांग की गई थी। उपभोक्ता अदालत का मत था कि मोटर चालकों को सुरक्षित और अच्छी तरह से बनाई गई सड़कों के माध्यम से यात्रा करने का पूरा अधिकार है क्योंकि वे सड़क उपकर का भुगतान करते हैं। कई कर प्राप्त करने का उद्देश्य अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कों का निर्माण और रखरखाव करना है। उपभोक्ता आयोग की पीठ ने उक्त फैसला उपभोक्ता के पक्ष में सुनाया।

निर्माता ठेकेदार को माना दोषी

उपभोक्ता शिजी जोशी मार्च 2021 में दोपहिया वाहन चलाते समय पीडब्ल्यूडी की सड़क पर एक दुर्घटना में गंभीर घायल हो गए थे। जिसके मुआवजे के लिए उन्होंने उपभोक्ता आयोग में शिकायत की थी। ठेकेदार ने तर्क दिया कि अच्छी तरह से बनाई गई सड़कें उपभोक्ता अधिनियम में ‘सेवा’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं। उपभोक्ता ने संबंधित पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों, सड़क सुरक्षा आयुक्त, केरल और ठेकेदार के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की थी, जिसमें कहा गया था कि दो महीने के भीतर सड़क पर गड्ढे बने और दो साल की दोष देयता अवधि के दौरान सड़क कैसे गड्ढों में तब्दील हो गई। जिस पर सड़क दुर्घटना हुई और उपभोक्ता के हाथ में फ्रैक्चर हुए व सर्जरी पर 1.50 लाख रुपये खर्च आया। इसके अलावा, इस दुर्घटना में घायल होने से उपभोक्ता की कमाई भी प्रभावित हुई। उन्होंने मुआवजे के रूप में 8.50 लाख रुपये की मांग की। पीडब्ल्यूडी ने तर्क दिया कि उनके मैनुअल के अनुसार, दोष दायित्व अवधि के दौरान सड़क की स्थिति से संबंधित दुर्घटनाओं के लिए संबंधित ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराए जाने का प्रावधान है। इसी आधार पर सड़क ठेकेदार को सेवा में कमी के लिए दोषी माना गया। एक अन्य मामले में एक बस में ड्राइवर और सहयात्री के धूम्रपान की वजह से एक यात्री को घुटन हो रही थी। वह इसके खिलाफ उपभोक्ता आयोग पहुंचा। आयोग ने संबंधित राज्य के परिवहन विभाग को उस यात्री को 15 हजार रुपये मुआवजे दिए जाने का आदेश दिया।

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ज्यादा किराया वसूलने का मामला

तमिलनाडु की एक उपभोक्ता अदालत ने तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम के शोलावंदन डिपो को उपभोक्ता यात्री के प्रति सेवा में कमी और उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए पीड़ित यात्री को 25,015 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता प्रेम सुदाकर 5 अगस्त, 2022 को मदुरै से पेरियाकुलम के लिए बस में चढ़ा था, कंडक्टर ने पेरियाकुलम तक का किराया 65 रुपये लिया था,जबकि निर्धारित किराया कम था। यात्री ने अधिक किराया मांगने का कारण पूछा तो बताया गया कि यह एक एक्सप्रेस सेवा है और इसलिए 15 रुपये अधिक वसूले गए हैं। जबकि उस बस के लिए ऐसा कोई नियम नहीं था,उपभोक्ता आयोग ने यात्री से निर्धारित किराए से अधिक धनराशि वसूलने के लिए बस कंडक्टर को जिम्मेदार माना और इसके लिए परिवहन निगम पर 25015 रुपये का हर्जाना लगाया। जिससे स्पष्ट है कि अगर आप बस से यात्रा कर रहे हैं और यात्रा के दौरान बस सेवा में कोई कमी होती है तो आप सेवा में कमी को लेकर उपभोक्ता अदालत जाकर न्याय प्राप्त कर सकते हैं।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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