धान उठान के भुगतान को तरसे राइस मिलर्स
रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 30 मार्च
मंडियों से धान उठान ठेकेदारों पर किराया न देने के आरोप लगाकर राइस मिलर्स ने रोष जताया। राइस मिलर्स का आरोप है कि कई ठेकेदार ऐसे हैं, जो खरीद एजेंसियों से उठान का ठेका प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन उनके पास उठान के लिए पर्याप्त गाड़ियां नहीं होती। कोई एजेंसी गाड़ियों की संख्या की जांच तक नहीं करती, जो राइस मिलर्स के लिए बड़ी मुसीबत हैं। जब मंडियों में धान आता हैं तो उसमें नमी की मात्रा अधिक होती हैं। खरीद के 24 घंटे के अंदर धान मंडियों से उठाकर मिलों तक पहुंचाना अनिवार्य होता हैं।
जब राइस मिलर्स ठेकेदारों से उठान के लिए गाड़ी मांगते है तो ठेकेदार अपने स्तर पर उठान करने की बात करता हैं, ओर किराया देने का आश्वासन देता हैं। राइस मिलर्स अपने स्तर पर गाड़ियों से धान मिलों तक पहुंचाने की व्यवस्था करता हैं। उस समय मार्केट रेट पर मिलर्स से किराया लिया जाता हैं। जब ये किराया राइस मिलर्स अपने-अपने ठेकेदारों से मांगते हैं, उन्हें परेशान किया जाता हैं। दीपक एंड कंपनी के संचालक अशोक खुराना ने बताया कि उनके स्तर पर किसी का किराया पेंडिग नहीं हैं, कई ठेकेदारों के पास उठान का काम हैं। जिला करनाल राईस मिलर्स एवं डीलर्स एसोसिएशन करनाल के प्रधान राजकुमार गुप्ता ने बताया कि मिलरों का लाखों रुपए किराए अटका पड़ा हैं। उन्होंने सरकार से मांग है कि धान उठान का किराया सीधे तौर पर राइस मिलर्स को दिया जाए। एसोसिएशन के पूर्व प्रधान विजय ठक्कर ने बताया कि धान उठान वाले ठेकेदार पहले अपने स्तर पर उठान करवाने के लिए कह देते हैं, जब उनसे किराया मांगते हैं तो देते ही नहीं।