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राइस मिलर्स सरकार से नाराज, रजिस्ट्रेशन व एग्रीमेंट नहीं करेंगे

08:53 AM Sep 17, 2024 IST

अम्बाला, 16 सितंबर (हप्र)
आज साहा में उत्तरी हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन जिसमें अम्बाला, यमुनानगर और पंचकूला के 500 से ज्यादा राइस मिलर्स मेंबर्स हैं, ने अपनी मांगों व समस्याओं की चर्चा के लिए बैठक की। बैठक में उत्तरी हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतपाल गुप्ता, महासचिव विशाल अरोड़ा, कोषाध्यक्ष राहुल अग्रवाल, समस्त कार्यकरिणी सदस्य व्ा स्थानीय राइस मिल एसोसिएशनस के प्रधान शामिल थे। इस बैठक में एफसीएस एंड सीए डिपार्टमेंट (हरियाणा सरकार) द्वारा जारी की गयी पालिसी 2024-25 पर चर्चा हुयी। विशाल अरोड़ा ने बताया कि उत्तरी हरियाणा के राइस मिलर्स जोकि पिछले 20 वर्षों से सीएमआर का कार्य कर रहे हैं, आज बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा जारी की गयी नई पालिसी बिलकुल भी राइस मिलर्स के हक में नहीं है। राइस मिलर्स पिछले 2-3 महीने से सम्बंधित डिपार्टमेंट्स को अपनी मागों के बारे में बता रहे हैं जिसका कि कोई संज्ञान अभी तक नहीं लिया गया है।
ऐसा प्रतीत होता है की नयी पालिसी तो राइस मिलर्स इंडस्ट्री को ख़त्म करने की मंशा से बनायी गयी है। एफसआई के पास चावल लगाने की कोई जगह नहीं है और ऊपर से नई पालिसी के हिसाब से चावल डिलीवरी की तारीख 30-4-2024 से 15-3-2025 कर दी गया है। हरियाणा के गोदामों में 32 लाख मेट्रिक टन चावल पड़ा हुआ है।
ऐसे में राइस मिलर्स नया चावल कहां लगाएंगे। नई पालिसी में यह भी लिखा हुआ है की राइस मिलर्स के एग्रीमेंट करने के बाद भी सरकार कभी भी एग्रीमेंट की तय शर्तों को बदल सकती है। इस तरह की शर्तें राइस मिलर्स को मंजूर नहीं। इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक राइस मिलर्स की मांगें मान नहीं ली जातीं, तब तक राइस मिलर्स सरकारी खरीद एजेंसियों (फूड एंड सप्लाई, हैफड, एचडब्ल्यूसी) के साथ आगामी सीजन में सीएमआर कार्य के लिए कोई रजिस्ट्रेशन व एग्रीमेंट नहीं करेंगे।

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ये हैं राइस मिलर्स की मुख्य मांगें

पिछले चार सीजन की बकाया राशिका भुगतान जल्द से जल्द करवाया जाए, मिलिंग चार्जेिज को 10 रुपये से बढ़ाकर छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की तर्ज पर 120 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए। आगामी सीजन में चावल लगाने के लिए सरकारी गोदामों में जगह की पहले से पुष्टि की जाए। सीएमआर कार्य में चावल के यील्ड की परसेंटेज 67% से घटाकर 62% की जाए।

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