रिटायर्ड हैं पर टायर्ड नहीं, 13 साल में रोपे 80 हजार पौधे पर्यावरण संरक्षण की मुहिम
रमेश सरोए/हप्र
करनाल,10 जनवरी
नौकरी से रिटायर होने के बाद अधिकरी, कर्मचारी आरामदायक जीवन जीना पसंद करते हैं, लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे जीवट के धनी होते है, जो अपना सारा जीवन सामाजिक कार्यों में लगा देते है। उनका मानना है कि हम नौकरी से रिटायर्ड हैं, काम से नहीं। इतना ही नहीं हम टायर्ड भी नहीं हैं। ऐसे लोगों में शामिल रिटायर्ड लेखा अधिकारी एस.डी. अरोड़ा के नेतृत्व में रिटायर्ड अधिकारी पर्यावरण संरक्षण समिति बनाकर पर्यावरण बचाने की मुहिम में जुटे हैं और उनकी मुहिम का असर शहर व आसपास के गांवों में देखा जा सकता है। रिटायर्ड अधिकारी, इंजीनियर्स, वैज्ञानिक मिलकर पिछले 13 साल में 80 हजार पौधे रोप चुके हैं।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण समिति को उनके कार्य के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं, यही नहीं रिटायर्ड अधिकारियों की मांग पर शिक्षा विभाग ने स्कूलों में पर्यावरण को एक विषय के रूप में शामिल किया है।
समिति के अध्यक्ष एसडी अरोड़ा ने बताया कि उनके कार्यों को देखते प्रदेश के मुख्यमंत्री व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने सम्मानित भी किया है।
पौधे लगाने के बाद टीमें करती हैं देखभाल
एसडी अरोड़ा ने बताया कि स्कूल, कॉलेज, पार्क में रिटायर्ड अधिकारी अपनी पेंशन की रकम से आम, जामून, नीम, अमरूद, नीबू, आंवला, गुलमोर जैसे फल व छायादार पौधे खरीदकर रोपित करते है। पौधे सूख न जाएं, इसे देखते हुए समिति ने क्षेत्र के अनुसार टीमें गठित की है। ये टीमें पौधों की 3 माह तक लगातार निगरारी करती है। सेक्टरवासियों, कॉलोनिवासियों व युवाओं को साथ जोड़कर पौधों की देखरेख करवाती हैं। लोग जिम्मेदारी समझकर पौधों को बचाने में पूरा सहयोग देते है।
समाज में आयी जागरूकता
एसडी अरोड़ा ने बताया कि 13 साल पहले जब हम रिटायर्ड लोगों ने पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाई, उस समय कम लोग इस दिशा में काम कर रहे थे, लेकिन अब लोगों में काफी जागरूकता है। अकेले करनाल में 14 संस्थाएं अपने-अपने स्तर पर इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसका फायदा पूरे शहरवासियों व आसपास बसे गांवों को मिल रहा हैं। जो लोग पर्यावरण को हराभरा बनाने में लगे हैं, उन्हें लोगों खासकर शासन प्रशासन द्वारा काफी सराहना मिलती हैं, जो उनके लिए बहुत बड़ा पुरस्कार होता है।