अध्यात्म से जीवन में संयम व सुख
नरेंद्र सिंह
हमें अपने बच्चों के लिए आदर्श प्रस्तुत करना है और ये चीज़ें उन्हें बचपन से ही समझनी हैं। हम उन्हें कितनी भी कारें, मोटरबाइक या महंगे-महंगे कपड़े ले दें; चाहे हम उन्हें कितनी भी बार विदेशों में छुट्टियां मनाने भेजें; पर यदि हम उन्हें आध्यत्मिक तत्व न सिखा सके तो वे और... और... और मांगते रहेंगे। यदि हम बच्चों को मेहनत करना सिखाएं, बचपन से ही आध्यात्मिक मूल्य दें तो वे प्रत्येक वस्तु के प्रति आभार का भाव रख पायेंगे और समय व्यर्थ नहीं गंवाएंगे।
जब तक हम जीवित हैं, हमें एक-दूसरे से प्रेम करते हुए जीवन को धन्य बनाना चाहिए। एक-दूसरे की गलतियों को क्षमा करके, सह कर हमें अपने मन से बोझ उतार फेंकना चाहिए। हमने यदि किसी का दिल दुखाया हो तो उनसे क्षमा मांग लेनी चाहिए। यदि हम यह सब करेंगे तो हमारे दुःख दूर हो जायेंगे और हमारा जीवन खुशियों से भर उठेगा।
हमारी आशाएं फलें-फूलें, इसके लिए हमें हर दिन को सजगता, सतर्कता एवं विवेक सहित खंगालना चाहिए। सच पूछो तो नए वर्ष में कुछ नया है नहीं। इसका नयापन और महत्व हमारे अपने संकल्प से पैदा होते हैं। इसलिए हम चाहें तो हर दिन को नया और खूबसूरत बना सकते हैं। अपना मन ही है जो परिवार, दफ्तर और अपने जीवन को खूबसूरत, घृणास्पद अथवा बुरा बनाता है।
पांच सौ कर्मचारियों वाली कंपनी को मैनेज करने का अर्थ है 500 मनों को मैनेज करना। अगर हम अपने ही मन और विचारों को मैनेज करना नहीं जानते तो सारी कंपनी भी डुबो देंगे। जैसे हम बाह्य जगत को मैनेज करते हैं, वैसे ही हमें अपने भीतरी जगत को भी मैनेज करना आना चाहिए।
अम्मा कुछ चीज़ों की सूची बताती है, जिनसे संभवतः हमें अपने जीवन में सुधार लाने में सहायता मिले :-
- जीवन के प्रति आभारी रहो। जीवन के हर उस अनुभव और हर व्यक्ति के आभारी रहो, जिसने जीवन-यात्रा में तुम्हारी सहायता की हो। भू-माता और प्रकृति माता के प्रति आभार व्यक्त करो।
- अच्छी आदतें हमारे जीवन को दिशा देकर हमें कुमार्ग से दूर रखती हैं। साथ ही, हमें बुरी आदतों पर लगाम लगाने की कोशिश करनी चाहिए। एक डायरी में अपनी बुरी आदतें लिखो-जैसे ज्यादा खाना, आलस्य, सेलफोन का अत्यधिक प्रयोग, स्वादिष्ट भोजन की तीव्र इच्छा होना। इन बुरी आदतों पर विजय पाने में अपनी प्रगति पर ध्यान दो।
- जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना शांति से करो। जीवन के सभी अनुभवों को स्वीकार करने वाली मानसिकता बनाओ।
- हमें हंसने और मुस्कुराने की आदत डालनी चाहिए। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हंसी उत्तम दवा है। हंसी संक्रामक है और शीघ्र ही दूसरों में फैल जाती है।
- अपने चुने हुए मार्ग, इष्टदेव, गुरु और स्वयं में विश्वास बनाये रखो। इससे तुममें जीवन की हर परिस्थिति में विजय पाने योग्य शक्ति मिलेगी।
- अपनी असफलताओं और कटु अनुभवों की ज़िम्मेदारी लेना सीखो। यह हमें अपनी भूलें सुधारने में सहायता करेगा।
- अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखो। आवश्यक हो तो अपनी जीवनचर्या और खाने-पीने की आदतों में परिवर्तन लाओ।
- मन को शांत करने के लिए हर रोज़ ध्यान में बैठो।
- पशु-पक्षियों तथा पेड़-पौधों सहित, हर किसी के प्रति करुणा का भाव रखो।
हमारे होंठों पर प्रेम की मुस्कान खिली रहे! हमारा हृदय करुणा से भरा रहे! हमारी बुद्धि में विवेक का सूर्य जगमगाता रहे!