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अध्यात्म से जीवन में संयम व सुख

10:46 AM Mar 11, 2024 IST

नरेंद्र सिंह
हमें अपने बच्चों के लिए आदर्श प्रस्तुत करना है और ये चीज़ें उन्हें बचपन से ही समझनी हैं। हम उन्हें कितनी भी कारें, मोटरबाइक या महंगे-महंगे कपड़े ले दें; चाहे हम उन्हें कितनी भी बार विदेशों में छुट्टियां मनाने भेजें; पर यदि हम उन्हें आध्यत्मिक तत्व न सिखा सके तो वे और... और... और मांगते रहेंगे। यदि हम बच्चों को मेहनत करना सिखाएं, बचपन से ही आध्यात्मिक मूल्य दें तो वे प्रत्येक वस्तु के प्रति आभार का भाव रख पायेंगे और समय व्यर्थ नहीं गंवाएंगे।
जब तक हम जीवित हैं, हमें एक-दूसरे से प्रेम करते हुए जीवन को धन्य बनाना चाहिए। एक-दूसरे की गलतियों को क्षमा करके, सह कर हमें अपने मन से बोझ उतार फेंकना चाहिए। हमने यदि किसी का दिल दुखाया हो तो उनसे क्षमा मांग लेनी चाहिए। यदि हम यह सब करेंगे तो हमारे दुःख दूर हो जायेंगे और हमारा जीवन खुशियों से भर उठेगा।
हमारी आशाएं फलें-फूलें, इसके लिए हमें हर दिन को सजगता, सतर्कता एवं विवेक सहित खंगालना चाहिए। सच पूछो तो नए वर्ष में कुछ नया है नहीं। इसका नयापन और महत्व हमारे अपने संकल्प से पैदा होते हैं। इसलिए हम चाहें तो हर दिन को नया और खूबसूरत बना सकते हैं। अपना मन ही है जो परिवार, दफ्तर और अपने जीवन को खूबसूरत, घृणास्पद अथवा बुरा बनाता है।
पांच सौ कर्मचारियों वाली कंपनी को मैनेज करने का अर्थ है 500 मनों को मैनेज करना। अगर हम अपने ही मन और विचारों को मैनेज करना नहीं जानते तो सारी कंपनी भी डुबो देंगे। जैसे हम बाह्य जगत को मैनेज करते हैं, वैसे ही हमें अपने भीतरी जगत को भी मैनेज करना आना चाहिए।
अम्मा कुछ चीज़ों की सूची बताती है, जिनसे संभवतः हमें अपने जीवन में सुधार लाने में सहायता मिले :-

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हमारे होंठों पर प्रेम की मुस्कान खिली रहे! हमारा हृदय करुणा से भरा रहे! हमारी बुद्धि में विवेक का सूर्य जगमगाता रहे!

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