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बालपन में ही सीख मिले संविधान के सम्मान की

08:48 AM Jan 23, 2024 IST
बालपन में ही सीख मिले संविधान के सम्मान की
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नीलम अरोड़ा
आज के दौर में भले बच्चों की हर जिज्ञासा का हल गूगल के पास हो, लेकिन बच्चों के दिल या दिमाग में कुछ बातें गूगल, सोशल मीडिया या महज किताबों के जरिये नहीं उतरतीं। ऐसी बातों और जानकारियों से बच्चों का दिल और दिमाग का रिश्ता तभी बनता है, जब उन्हें ये सब उनके मम्मी-पापा, दादी-दादा, नानी-नाना अथवा अध्यापक सुनाते हैं। देश के इतिहास और संस्कृति की बातें ऐसी ही होती हैं। इसलिए हर मम्मी-पापा को चाहिए कि वह अपने बच्चों को गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, 2 अक्तूबर आदि राष्ट्रीय पर्वों के मनाये जाने के पीछे की वजह बताएं।
सवाल है आखिर गणतंत्र दिवस के मौके पर मम्मी-पापा अपने छोटे बच्चे को क्या और कैसे बताएं? उन्हें अपने बच्चों को भाव-भंगिमाओं के साथ यह समझाना चाहिए कि हम हर साल स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं और उस स्वतंत्रता दिवस के बाद गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है? यह भी कि हमारे पुरखों ने कैसे गुलामी के खिलाफ लंबे समय तक संघर्ष किया था? कैसी-कैसी तकलीफें भोगी थीं? इससे बच्चों में यह समझ पैदा होगी कि आजादी का क्या महत्व होता है और हमारे पुरखों ने हमारा आजाद माहौल में सांस लेना संभव बनाने के लिए क्या-क्या कष्ट उठाये थे? तभी तो इन बच्चों को अपने पुरखों पर गर्व महसूस होगा।
हमें अपने छोटे बच्चों को बताना चाहिए कि कैसे आजादी की लड़ाई में हर भारतवासी ने कैसे कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मनों के विरुद्ध संघर्ष किया था। लाखों बलिदानों के बाद आजादी मिली है। बच्चों को बताना चाहिए कि देश के इतिहास में महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, अशफाक उल्ला खां, भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सैनानियों का कितना बड़ा संघर्ष है। इसलिए हमें अपनी आजादी के साथ जरा भी गैरजिम्मेदारी नहीं बरतनी चाहिए। बच्चों को यह भी बताना चाहिए कि देश का ख्याल रखना और अच्छा नागरिक बनना किस तरह अपने पुरखों के प्रति सम्मान है। निश्चित रूप से बड़े होकर बच्चे इतिहास की किताबों में आजादी की लड़ाई के तमाम दस्तावेजी ब्योरे और लंबी कहानियां पढ़ेंगे ही, जानेंगे ही, लेकिन अगर बचपन में यह सब बताते रहें तो बेहतर रहेगा। जानिये प्रश्न-उत्तर रूप में इस विषय पर बच्चों की कुछ संभावित जिज्ञासाएं -
आज पापा फोन पर किसी से गणतंत्र दिवस को लेकर बात कर रहे थे और बार-बार संविधान का नाम ले रहे थे,आखिर गणतंत्र दिवस का हमारे संविधान से क्या रिश्ता है?
26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था, उसी दिन की यादगार को हम गणतंत्र दिवस या रिपब्लिक डे के रूप में मनाते हैं।
आजाद तो हम 15 अगस्त 1947 को हो गये थे, तो फिर देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ?
क्योंकि उसके पहले हमारे पास अपना संविधान था ही नहीं।
तो क्या हम उसके पहले बिना किसी संविधान के थे?
नहीं, तब हम पर अंग्रेजी राज के कानून लागू होते थे यानी तब हम पर ब्रितानी संविधान ही लागू था। जब 1947 में अंग्रेजी शासन से हम आजाद हो गये, तब हमने एक आजाद देश के रूप में अपना संविधान बनाया।
क्या आजादी के बाद संविधान जरूरी होता है?
हां, किसी भी आजाद देश के लिए संविधान जरूरी होता है।
संविधान से होता क्या है, जो यह इतना जरूरी है?
संविधान वह सत्ता है, जो सबसे पहले तो सरकार बनाती है और दूसरा काम यह स्पष्ट करने का करती है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी।
भारत का संविधान किसने बनाया?
भारत का संविधान, संविधान समिति ने बनाया और इसको मौजूदा स्वरूप में लाने का काम बाकायदा संविधान की एक प्रारूप समिति ने किया।
इस समिति में कौन लोग शामिल थे?
भारत के संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे, जबकि इस समिति में सात अन्य सदस्य थे- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला, अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, गोपाल स्वामी आयंगर, एन.माधव राव, बेनेगल नरसिंह राव व डीपी खेतान।
-इ.रि.सें.

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