Republic Day 2025 : गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार दिखेगी सेना के तीनों अंगों की संयुक्त झांकी
नई दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा)
Republic Day 2025 : छब्बीस जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में भव्य कर्तव्य पथ पर पहली बार सेना के तीनों अंगों की संयुक्त झांकी नजर आएगी। इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच ‘‘संयुक्तता'' की व्यापक भावना को दर्शाना है। वहीं, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की झांकी में भारत की सांस्कृतिक विविधता और रचनात्मकता की झलक दिखाई देगी।
झांकी का मुख्य आकर्षण काइनैटिक कल्पवृक्ष से लेकर कुम्हार के चाक पर याढ़ (तमिल वाद्ययंत्र) है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सेना के तीनों अंगों की संयुक्त झांकी में स्वदेशी अर्जुन युद्ध टैंक, तेजस लड़ाकू विमान और उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर के साथ जमीन, जल और हवा में समकालिक अभियान के रूप में युद्ध की स्थिति का परिदृश्य प्रदर्शित किया जाएगा। त्रि-सेवाओं की झांकी का विषय ‘सशक्त और सुरक्षित भारत' होगा।
मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ‘‘एक जनवरी को, मंत्रालय ने 2025 को रक्षा सुधारों के वर्ष के रूप में घोषित किया था और भारत की सैन्य शक्ति की मजबूती के लिए सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। झांकी सशस्त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण के लिए वैचारिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करेगी, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अभियानगत उत्कृष्टता सुनिश्चित होगी।''
वहीं, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार इस बार मंत्रालय की झांकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विरासत भी, विकास भी' मूलमंत्र से प्रेरित है और देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सतत विकास की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित करती है। इसमें कहा गया है कि यह झांकी भारत के विकसित राष्ट्र बनने के ‘विज़न 2047' में संस्कृति और रचनात्मकता के योगदान को रेखांकित करती है।
बयान के अनुसार इस मौके पर संस्कृति सचिव अरुणीश चावला ने कहा, ''संस्कृति मंत्रालय की झांकी हमारे देश की अद्वितीय सांस्कृतिक विविधता, रचनात्मकता और सतत विकास की झलक है।...कुम्हार के चाक पर प्राचीन तमिल वाद्य यंत्र याढ़ हमारी परंपरा की गहराई और निरंतरता का प्रतीक है। वहीं, काइनैटिक कल्पवृक्ष जो ‘सोने की चिड़िया' में बदलता है, हमारी रचनात्मकता और आर्थिक प्रगति का संदेश देता है।”