मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

नहीं रहे जाने-माने संस्कृत विद्वान प्रो. मनसाराम शर्मा

07:33 AM Jul 16, 2024 IST
Advertisement

सोलन, 15 जुलाई (निस)
संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रो. मनसाराम शर्मा अरुण का सोमवार को निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे। वे पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे। संस्कृत जगत व उनके आत्मीय जनों के लिए यह अपूर्णीय क्षति है। बनारस व पंजाब यूनिवर्सिटी से शिक्षित प्रो. शर्मा का संपूर्ण जीवन संस्कृत को समर्पित रहा। हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में साढ़े तीन दशकों तक उन्होंने स्कूल व कॉलेज में देववाणी संस्कृत की सेवा की। प्रो. शर्मा शायद देश के अंतिम व्यक्ति होंगे, जिन्होंने संस्कृत का हस्तलिखित अखबार भी चलाया। उनके निधन पर सोलन के संस्कृत जगत ने शोक जताया और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। संस्कृत विद्वान डॉ. प्रेम लाल गौतम, डॉ. शंकर वासिष्ठ, मदन हिमाचली समेत दर्जनों संस्कृत प्रेमियों ने उनके निधन को कभी न पूरी होने वाली क्षति बताया। वर्ष 1953 से प्रो. मनसा राम शर्मा दैनिक, साप्ताहिक, मासिक हस्तलिखित संस्कृत पत्रिकाएं चलाते रहे। उन्होंने शिक्षा भगवत गीता, प्रियागीता, वार्षिकी गीता, बालगीता, सुगीता ये पांच पुस्तकें गीता ज्ञान के साथ संस्कृत प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रकाशित की। हिमांशु, समभद्रा,ऋतंभरा पत्रिकाओं का और शिशु शब्दकोष का संपादन किया। उनके प्रदेश व देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में शोध लेख प्रकाशित होते रहे। प्रो. मनसाराम शर्मा संस्कृत के जाने-माने विद्वान थे। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग में संस्कृत प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी।

Advertisement
Advertisement
Advertisement