डायबिटीज से राहत स्वस्थ आदतें अपनाकर
दुनियाभर में करोड़ों लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं जिसका बड़ा हिस्सा भारत में रहता है। दरअसल, इसकी वजह असंतुलित भोजन व खराब जीवनशैली है। डायबिटीज के कारणों, बचने के उपायों आदि के संबंध में एंडोक्राइन सोसाइटी ऑफ इंडिया के दिल्ली स्थित डायबिटीज एक्सपर्ट डॉ. संजय कालरा से रजनी अरोड़ा की बातचीत।
अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो आपको हर उम्र के व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित मिल जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, पूरी दुनिया में करीब 34 करोड़ 10 लाख लोग इससे पीड़ित हैं जिनमें करीब 7 करोड़ 70 लाख मरीज भारत में हैं और कई लोग इसके मरीज बनने के कगार पर हैं। डायबिटीज वास्तव में बीमारी नहीं, एक मेटाबोलिक सिंड्रोम है, जो कई बीमारियों का घर भी है। पहले माना जाता था कि डायबिटीज जेनेटिक कारणों से प्रौढ़ावस्था या मिडल एज में होती है। लेकिन आजकल खराब जीवनशैली की बदौलत डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है।
अनुशासित दिनचर्या न होना
आधुनिकता के दौर में हम ‘रोजाना जल्दी सोना-जागना और काम नियत समय पर करना’ वाली जीवनशैली पर अमल करना भूलते जा रहे हैं। इसके बजाय देर रात तक जागना, दिन चढ़े उठना, व्यायाम न करना, नाश्ता न करना, जंक फूड खाना जैसी आदतें अपना रहे हैं। जिनकी वजह से अनचाहे ही मोटापे, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। जबकि व्यस्तता के बावजूद दिनचर्या में नियमितता जरूरी है ताकि इंसुलिन स्राव ठीक तरह हो।
वजन काबू में न रखना
व्यस्तता और आलस की वजह से नियमित व्यायाम न करना मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ावा देता है। विशेषज्ञों का दावा है कि अगर मरीज अपना वजन 7.10 प्रतिशत कम कर लेते हैं तो डायबिटीज नियंत्रित ही नहीं, रिवर्स भी हो सकती है। जरूरी है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। रक्त में ग्लूकोज के स्तर को हेल्दी रेंज में रखने के लिए नियमित एक्सरसाइज करें। इससे रक्तसंचार सही रहता है, शूगर बर्न होने पर ब्लड शूगर लेवल नियंत्रण में रहता है।
देर तक बैठे रहना
काम की वजह से या आरामपरस्ती के चलते ज्यादा देर तक बैठे रहना डायबिटीज पैदा करता है। एक शोध के अनुसार, अधिक बैठने से ब्लड शूगर लेवल बढ़ जाता है और इंसुलिन रजिस्टेंस कम हो जाता है। लिहाजा लगातार बैठे न रहें, एक्टिव रहें। हर आधा घंटे बाद कम से कम 5 मिनट का ब्रेक लें। विशेषज्ञों के अनुसार दिन भर ली जाने वाली कैलोरी को खर्च करना भी जरूरी है वरना यह शरीर में जमा होती रहती है और मोटापे का कारण बनती है। नियमित 20-30 मिनट सैर, योग, ध्यान, व्यायाम, नृत्य, बागवानी जैसी कोई एक्टिविटी करनी चाहिए।
तनावग्रस्त रहना
अनचाहे भी हम अकसर तनाव से घिर जाते हैं। शरीर में एड्रिनेलिन हार्मोन का रिसाव होने लगता है जो शरीर में ऑक्सीटोसिन और सेरेटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोंन्स को प्रभावित करता है। इमोशनल इटिंग बढ़ जाती है। इससे शरीर में ब्लड शूगर लेवल बढ़ जाता है जो डायबिटिक लोगों के लिए खतरनाक होता है। जबकि ऐसी स्थिति में अपने पसंदीदा काम या एक्टिविटी करना, बाहर घूमना या बातचीत करना बेहतर है।
पूरी नींद न लेना
विशेषज्ञों के मुताबिक, सोना वाकई हमारे स्वास्थ्य के लिए सोना है। काम या दूसरी वजहों से दिन भर में बामुश्किल 5-6 घंटे ही सोने की आदत डायबिटीज को बढ़ाती है। एक तो देर तक जागने के लिए चाय-कॉफी जैसे कैफीनयुक्त पेय और भूख लगने पर स्नैक्स का सेवन करना शरीर में अतिरिक्त कैलोरी या फैट का कारण बनता है। दूसरे कम सोने से व्यक्ति दिन भर थकान और तनाव से ग्रस्त रहता है जिससे उसका ब्लड शूगर का स्तर बढ़ जाता है। सोने का रूटीन तय कर 7-8 घंटे नींद जरूर लें।
चीनी-नमक का अधिक सेवन
डब्ल्यूएचओ के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को दिन भर में अधिकतम 25 ग्राम या 5 चम्मच अतिरिक्त चीनी और 5 ग्राम या 1 चम्मच से कम नमक का सेवन करना बेहतर है। सेचुरेटिड फैट युक्त नमकीन स्नैक्स, चिप्स, आचार, सॉस जैसी चीजों से परहेज करना बेहतर है। ज्यादा मात्रा में ली गई चीनी फैट में बदलकर शरीर में जमा हो जाती है और ज्यादा नमक शरीर में वॉटर रजिस्टेंस का कारण बनता है। जिससे व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और मोटापा, डायबिटीज, बीपी, हृदय रोग आदि हो सकते हैं।
खानपान में बदलाव
पौष्टिक तत्वों की कमी और ट्रांसफैट की अधिकता शूगर लेवल को बढ़ाती है। खानपान पौष्टिक, संतुलित और संयमित होना चाहिए। आहार में साबुत अनाज, मल्टीग्रेन आटा, छिलके वाली दालें, स्प्राउट्स, हरी सब्जियां, फल, नट्स जैसी हाई फाइबरयुक्त और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट जरूर शामिल करने चाहिए। मैदा, चीनी जैसी रिफाइंड चीजें, वसायुक्त भोजन और अधिक कार्बाेहाइड्रेट या कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाने से परहेज करना चाहिए। अखरोट, बादाम का सेवन भी लाभप्रद है।
बार-बार खाना
दिन में 3 मुख्य मील के अलावा क्रेविंग को शांत करने के लिए स्नैक्स, चिप्स, बिस्कुट, कुरकुरे जैसी चीजें खाना गलत है। जरूरी है कि भोजन संबंधी आदतों में बदलाव लाएं। वहीं ज्यादा लंबा गैप आने पर भी शरीर में शूगर का लेवल बढ़ने लगता है। प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ आहार में जरूर शामिल करें। एनर्जी लेवल मेंटेन रखने हेतु यथासंभव हर 3 घंटे में हेल्दी चीजें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें। यदि स्मोकिंग और एल्कोहल न लें तो बेहतर है। डायबिटीज में एल्कोहल लेने पर व्यक्ति समुचित आहार नहीं ले पाता। जिससे शूगर लेवल कम हो सकता है। वहीं 45 वर्ष की उम्र के बाद हर व्यक्ति को रेगुलर हैल्थ चैकअप कराना चाहिए। डायबिटीज हो तो डॉक्टर की हिदायतों को पूरी तरह फोलो करना चाहिए।