स्किन फिलर्स से सितारों का कायाकल्प
बीते दिनों एक फिल्म में लुक को लेकर अभिनेता राजकुमार राव ट्रोल हुए। वजह थी प्लास्टिक सर्जरी का शक। हालांकि उन्होंने चेहरे की स्किन को स्मूथ करने के लिए स्किन फिलर इंजेक्ट कराया था जो कलाकारों, सेलिब्रिटीज के लिए मेकअप की तरह है।
बॉलीवुड अभिनेता राजकुमार राव बीते दिनों ट्रोल आर्मी के निशाने पर रहे। वजह थी, फिल्म ‘श्रीकांत’ में उनका लुक। अफवाह थी कि इस लुक के लिए उन्होंने प्लास्टिक सर्जरी करायी है और चूंकि शुरू में वो चुप थे, तो इसे सही मान लिया गया। लेकिन जब इस पर उन्हें ज्यादा ट्रोल किया जाने लगा तो राव आगे आये और कहा कि इस फिल्म में उनका चेहरा ज्यादा मैच्योर और ठोड़ी थोड़ी लंबी और चेहरे का खुरदरापन नजर नहीं आ रहा, तो उसकी वजह प्लास्टिक सर्जरी नहीं बल्कि स्किन फिलर्स है। राव के मुताबिक, ‘मैंने आठ साल पहले ठोड़ी पर फिलर्स करवाया था, क्योंकि मुझे कॉन्फिडेंट दिखना था, बस इतना ही।’ दरअसल स्किन फिलर्स जैल जैसा एक पदार्थ होता है, जो त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है, इससे त्वचा में हायल्यूरोनिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इससे त्वचा में खूब नमी महसूस होने लगती है और चेहरे की झुर्रियां व खुरदरापन गायब हो जाता है। इससे त्वचा को कुदरती रूप से सॉफ्ट लुक मिलता है।
सुंदर दिखना कलाकारों की जरूरत
स्किन फिलर्स का इस्तेमाल कोई नया नहीं है। दशकों से इसका इस्तेमाल बॉलीवुड-हॉलीवुड के एक्टर तो करते ही रहे हैं, सामान्य लोग भी बेहतर लुक पाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इससे त्वचा में विशेषकर चेहरे में हल्की झुर्रियां गायब हो जाती हैं और बड़ी झुर्रिया सिमटकर हल्की झुर्रियों में तब्दील हो जाती हैं। हालांकि यह स्थिति परमानेंट नहीं रहती। बीच-बीच में इसे बनाये रखने के लिए इसे कराना होता है। राजकुमार राव के मुताबिक़ उन्होंने आज नहीं कई साल पहले स्किन फिलर्स का इस्तेमाल किया था, यह बात उन्होंने एक मनोरंजन वेबसाइट को दिए गये एक इंटरव्यू में बतायी, जिसके बाद लोगों ने हंगामा मचा दिया। इस पर फिर से कैमरे पर आते हुए राजकुमार राव ने कहा कि वह अकेले नहीं हैं जिसने चिन में स्किन फिलर्स करवाया। यहां करीब-करीब सभी लोग ऐसा करते हैं, लेकिन आमतौर पर लोगों को पता नहीं चलता। राजकुमार राव के मुताबिक अभिनय एक ऐसा माध्यम है, जो लगातार बेहतर लुक की मांग करता है और इसी मांग के मुताबिक न सिर्फ बॉलीवुड के बल्कि हॉलीवुड के कलाकारों को भी नियमित रूप से जवान दिखना मजबूरी होती है।
प्लास्टिक सर्जरी और स्किन फिलर्स में बड़ा फर्क
लेकिन प्लास्टिक सर्जरी और स्किन फिलर्स में अंतर है। प्लास्टिक सर्जरी के बाद यकायक चेहरे में इतना परिवर्तन दिखने लगता है कि कोई भी इसे पकड़ लेता है। लेकिन स्किन फिलर्स में इतना बड़ा अंतर नहीं दिखता। अचानक ढीली-ढाली चेहरे की त्वचा थोड़ी कसी हुई और ज्यादा ग्लो करती हुई लगती है, जिसे लोग स्वाभाविक बदलाव मान लेते हैं। इसलिए आमतौर पर स्किन फिलर्स कराये जाने पर नोटिस नहीं लिया जाता। इसे मेकअप की तरह करीब-करीब इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़ा हर शख्स कराता है। हॉलीवुड में भी यह चलन है। सिंडी क्रॉफोर्ड से लेकर किम कार्दशियां और मिकी मिनाज से लेकर निकोल किडमैन तक हॉलीवुड की सभी हीरोइनें स्किन फिलर्स कराती हैं।
टारगेट करने का औचित्य
पिछले दिनों तो हेलबैरी ने एक स्टेटमैंट दी जिसके मुताबिक हॉलीवुड की हीरोइनें जवान रहने के लिए हर महीने लाखों डॉलर खर्च करती हैं और उनके मुताबिक अपनी सेहत से खिलवाड़ भी। इसलिए मनोरंजन उद्योग से जुड़े किसी व्यक्ति के लिए स्किन फिलर्स का खुलासा कोई रंगे हाथ पकड़े जाने का मामला नहीं था। फिर भी भारतीय ट्रोलर्स ने जिस तरीके से राजकुमार राव की फिल्म में उनके लुक को टारगेट किया, वह सही नहीं है। हालांकि ट्रोलर्स के जवाब में उनके समर्थकों ने भी मोर्चा संभालते हुए कहा कि राव खुद को सिर्फ किरदार के मुताबिक ढालते ही नहीं हैं, इसके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। वह कोई खूबसूरत दिखने की छुपी कोशिश नहीं कर रहे।
भराव को हटाना भी संभव
जिस तरीके से त्वचा में खुरदरेपन को भरने के लिए स्किन फिलर्स का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरीके से इस भराव को हायल्यूरोनिक या हयालूरोनिक इंजेक्शन से हटाया भी जा सकता है। वास्तव में हायल्यूरोनिक एसिड शरीर में ही प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। स्किन फिलर्स आमतौर पर 6 महीने से 12 महीने तक ही रहता है। इसलिए जिन लोगों को लगातार अपने चेहरे का भरा भरा और चिकना दिखाना होता है, उन्हें नियमित रूप स्किन फिलर्स की शरण में रहना पड़ता है। इसलिए ये कोई एक दिन का खेल नहीं है। आमतौर पर मनोरंजन उद्योग में काम करने वाले लोग इसका इस्तेमाल करते ही हैं, क्योंकि लगातार कॉस्मेटिक के इस्तेमाल के कारण उनके चेहरे में वह ताजगी नहीं रह जाती, जो अलग अलग किरदारों के लिए जरूरी होती है। इसलिए जो लोग राजकुमार राव को उनके ही बताये जाने पर ट्रोल कर रहे हैं, वे सच्चाई को शायद जानते ही नहीं हैं।
-इ.रि.सें.