बचपन में न खेल पाने का मलाल, नीरज चौधरी ने गांव में बना डाला स्टेडियम कमाल !
भिवानी, 25 अगस्त (हप्र)
बड़े शहरों में भागदौड़ की जिदंगी व चकाचौंध से लौटकर अपने गांव की माटी के लिए कुछ कर गुजरने की हसरत लिए गांव कालुवाला निवासी नीरज चौधरी ने गांव में वो काम कर दिखाया, जिसकी कमी वह बचपन में महसूस करते थे। गांव के युवाओं के साथ कबड्डी, कुश्ती खेलने की इच्छा अधूरी रहने के मलाल के चलते उन्होंने गांव में 10 करोड़ रुपए का बजट खर्च करके एक भव्य स्टेडियम तैयार करवाने के साथ-साथ खेल प्रतिभाओं को निरंतर बढ़ावा देने का कार्य किया है।
समाजसेवी नीरज चौधरी का ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में बड़ा कारोबार संचालित हैं लेकिन उनकी जड़ें आज भी गांव की मिट्टी से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि वह स्वयं खेल से नहीं जुड़ पाए क्योंकि जिस समय खेलकूद की उम्र थी वह कामकाज के सिलसिले में मुंबई व गोवा में चले गए लेकिन 2005 में उन्होंने वापस आकर एक लाख की कुश्ती दंगल से ईनामी स्पर्धा आरंभ की। उसके बाद गांव में प्रतिवर्ष खेल स्पर्धा आयोजित करने के अलावा 2007 से 14 एकड़ में भव्य खेल स्टेडियम का निर्माण करवाया गया, जिसमें हर तरह की खेल सुविधा मौजूद हैं। उनका सपना है कि वह बाल्यकाल में जिन सुविधाओं से वंचित रहे, क्षेत्र का युवा वर्ग उनसे महरुम न रहे इसीलिए खेल सुविधाओं के लिए कभी भी धन की कमी नहीं आने दी जाएगी।
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि
जिला परिषद चेयरमैन मंदीप डालावास व जिला पार्षद इंजीनियर सुनील हड़ौदी ने कहा कि नीरज चौधरी के प्रयासों से क्षेत्र के युवाओं में खेल के प्रति अलग ही विचाारधारा तैयार हुई है। वह अब भी खेलों का सारा खर्च खुद उठाते हैं वहीं गौशााला व अन्य धार्मिक संस्थाओं में दिल खोलकर दान देने से पीछे नहीं रहते। यहां से प्रशिक्षित ग्रामीण क्षेत्र के 200 लड़के-लड़कियां सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ समेत अर्धसैनिक बलों व निजी कंपनियों में अच्छे पदों पर सेवारत हैं। यहां प्रशिक्षण पाकर 50 से ज्यादा लड़के-लड़कियां नेशनल व स्टेट लेवल में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। यहां से प्रशिक्षित 35 से अधिक युवा देश के अलग-अलग क्षेत्रों में कोच के पद पर युवाओं का भविष्य संवार रहे हैं। यहां नीरज चौधरी ने ही 7 विशेष कुशल कोचों के अलावा मेडिकल ट्रेनर, ग्राउंडमैन व महिलाओं के लिए अलग से स्टाफ की तैनाती की हुई है।
14 एकड़ में बने स्टेडियम में ये सुविधाएं
स्टेडियम में 400 मीटर का दौड़ ट्रेक है, वहीं सभी प्रकार की एथलेटिक्स सुविधाएं भी हैं। स्टेडियम परिसर में बास्केटबाॅल, वाॅलीबाॅल, दौड़ व कबड्डी के चार खेल मैदान तैयार किए गए हैं। इनमें डे-नाइट खेल आयोजन के लिए पूरी तरह लाइटों की व्यवस्था हैं जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की लाइटें लगाई गई हैं। यहां दिन-रात्रि अभ्यास के लिए लगभग एक दर्जन गांवों के लड़के-लड़कियां पहुंचकर विशेष प्रशिक्षकों की देखरेख में अभ्यास कर रहे हैं। बुजुर्गो, महिलाओं के लिए अलग से ओपन जिम है। जिले में बड़े स्तर का सरकारी स्टेडियम न होने पर खेल विभाग की रेजिडेंशियल एकेडमी भी यहां चल रही है।