राइस शैलरों का पंजीकरण, एग्रीमेंट न होने पर खरीद एजेंसियों ने शुरू की खरीद
फतेहाबाद, 7 अक्तूबर (हप्र)
आज प्रदेश में नयी सरकार का आगाज हो जायेगा, लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती किसानों के परमल धान के खरीद की होगी, क्योंकि अभी तक राइस मिलों से सरकार का कोई भी मिलिंग का एग्रीमेंट नहीं हुआ है।
हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन की हड़ताल के बीच सरकारी खरीद एजेंसियों ने धान की खरीद शुरू कर दी है। जिले में सरकारी खरीद एजेंसियां हैफेड व हरियाणा वेयरहाऊस ने अब तक करीब 116 मीट्रिक टन परमल धान की खरीद की है। बता दें कि हरियाणा राईस मिलर्स एसोसिएशन अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। धान की खरीद के लिए न तो किसी शैलर ने डीएफएससी विभाग से पंजीकरण करवाया है और न ही किसी शैलर का खरीद एजेंसी के साथ एग्रीमेंट हुआ है। खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक विनीत जैन और हैफेड के जिला प्रबंधक राजेश हुड्डा ने सरकारी खरीद शुरू होने की पुष्टि की है। प्रदेश सरकार ने इस बार 27 सितंबर से परमल धान की सरकारी खरीद शुरू करने के आदेश दिए थे। खरीद एजेंसियों ने 2320 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीद करनी थी, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा धान खरीद को लेकर लाई गई नई पॉलिसी को लेकर हरियाणा राइस मिलर एसोसिएशन सहमत नहीं हैं, जिसके कारण राइस शैलर मालिक हड़ताल पर है। राइस शैलर मालिकों ने फूड एंड सप्लाई विभाग के पास अपना पंजीकरण भी नहीं करवाया और न ही किसी खरीद एजेंसी के साथ एग्रीमेंट किया है। एग्रीमेंट न होने से राइस शैलर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं जबकि मंडियों में धान की आवक रोजाना जोर पकड़ रही है। उधर, राइस मिलर्स एसोसिएशन के जिला प्रधान सुरेश जिंदल ने बताया कि नई पॉलिसी के अनुसार मिलर को 30 मई की जगह 15 मार्च तक 100 फीसदी चावल निकालकर एफसीआई को देनी होगी, जिसको लेकर राईस मिलर सहमत नहीं हैं।
इसके अलावा मिलर का कहना है कि एफसीआई के पास सीएमआर का चावल रखने के लिए गोदाम नहीं हैं। इस समय सरकार उनसे 1 क्विंटल धान की एवज में 67 किलो चावल ले रही है जबकि उन्हें इससे नुकसान हो रहा है। मिलर एसोसिएशन की मांग है कि 67 किलो की सीमा को कम करके 62 किलो किया जाए।