हिमाचल में अमान्य संबंधों से हुए बच्चों का पंजीकरण भी जरूरी
शिमला, 5 नवंबर (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि अवैध संबंधों अथवा अमान्य वैवाहिक संबंधों से पैदा हुए बच्चों का पंजीकरण भी जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रेशन से इनकार करना गैरकानूनी है। कोर्ट ने नाबालिग बच्चों की ओर से दायर याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जीवित प्राणी हैं। इस तथ्य को कानून में स्वीकार किया जाना चाहिए। इसलिए उनके नाम संबंधित पंचायत के रिकॉर्ड में दर्ज किए जाने चाहिए।
जस्टिस ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकॉर्ड में दर्ज करना हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 के प्रावधानों के अनुरूप होगा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखा गया है। कोर्ट ने प्रतिवादियों की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं के माता-पिता के बीच विवाह विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4(ए) के प्रावधानों के मद्देनजर पंजीकृत नहीं किया जा सकता है और इस आधार पर याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किए जा सकते हैं, स्पष्ट रूप से गलत धारणा है और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16(1) के महत्व का उल्लंघन करता है। मामले के अनुसार तीन नाबालिग बच्चों, जिनकी उम्र क्रमशः 12, 9 और 5 वर्ष है, ने अपनी मातृ-प्राकृतिक अभिभावक के माध्यम से याचिका दायर कर प्रतिवादियों को पंचायत रिकॉर्ड यानी जन्म रजिस्टर और परिवार रजिस्टर में उनके नाम दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।