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Haryana News : नालसा टोल फ्री नंबर लिखवाने के नाम पर स्कूलों से ‘वसूली’

09:58 AM Nov 28, 2024 IST
haryana news   नालसा टोल फ्री नंबर लिखवाने के नाम पर स्कूलों से ‘वसूली’
यमुनानगर के मारवा खुर्द के सरकारी स्कूल की दीवार पर लिखा गया बोर्ड। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 27 नवंबर
आजकल सरकारी स्कूलों की दीवारों पर फ्री लीगल एड के बोर्ड लिखे जा रहे हैं। इसके लिए स्कूलों को तीन हजार रुपए की राशि के बिल भेजे जा रहे है। हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ ने सरकारी विद्यालयों की दीवारों पर लिखवाए जा रहे एनएएलएसए (नालसा) फ्री लीगल एड हेल्पलाइन नंबर 15100 के बोर्ड लिखवाने के लिए विद्यालयों के फंड से तीन हजार रुपए की राशि पेंटर/ठेकेदार को दिलवाए जाने का विरोध शुरू कर दिया है। संघ के जिला प्रधान सतपाल ने कहा है कि गत दिनों सभी विद्यालयों को जिला शिक्षा अधिकारी यमुनानगर की तरफ से एनएएलएसए फ्री लीगल एेड हेल्पलाइन नंबर 15100 को सभी सरकारी व निजी विद्यालयों कि बाहरी दीवारों पर लिखवाने बारे एक पत्र मिला। लेकिन जब तक अध्यापक इस बारे कुछ समझ पाते उससे पहले ही स्कूलों की बाहरी दीवारों पर इस से संबंधित बोर्ड बने मिले। यह बोर्ड हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बनाए गए हैं। अभी इनको बनाने वाला ठेकेदार स्कूलों से प्रति स्कूल तीन हजार रुपए की राशि की मांग कर रहा है जिसने अभी स्कूलों के बिल भी बना रखे हैं। जिला प्रधान ने कहा कि यह पूर्णतया गलत है। जब विभाग इसे पेंट करा रहा है तो वह इसके लिए अलग से बजट जारी करे और ठेकेदार को भुगतान करे। जब अध्यापकों के द्वारा यह कार्य करवाया ही नहीं जा रहा तो वो इसके लिए स्कूल के खाते से भुगतान क्यों करें? उन्होंने कहा कि इसमें बड़े स्तर एक घोटाले की बू आ रही है। जिला सचिव चांद राम ने कहा कि जब इस कार्य के लिए जिस भी विभाग द्वारा पहले ही ठेका दिया हुआ है तो वहीं विभाग इसका भुगतान अपने स्तर पर करे इसके लिए स्कूल मुखियाओं को क्यों परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्य को करने में घटिया सामग्री का प्रयोग हुआ है ये टोल फ्री नंबर के बोर्ड एक या दो बरसात के बाद धुले मिलेंगे।
राज्य महासचिव विनोद मोहड़ी ने कहा कि जब विद्यालयों को ही अपने फंडों से भुगतान करना है तो यह कार्य स्कूल मुखियाओं से ही कराया जाना चाहिए था। वैसे भी अध्यापक इस प्रकार के कार्य से ज्यादा कार्य विद्यालय स्तर पर कराते रहते हैं। उन्होंने बताया कि यदि एक ही बिल्डिंग में मिडल व प्राइमरी विद्यालय चल रहे हैं तो उस भवन की दीवारों पर प्राथमिक व मिडिल के नाम से दो-दो अलग बोर्ड बनाने का क्या औचित्य है जबकि दो बोर्ड से भी काम चल सकता है लेकिन एक बड़े घोटाले के तहत ऐसा कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी पत्र में सीसीडब्ल्यूएफ से इस कार्य हेतु भुगतान करने की बात कही गई है जबकि यह फंड हाई, व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में ही होता है प्राथमिक व मिडल स्टार पर केवल सीडब्ल्यूएफ न का फंड होता है जिसका पत्र में कोई जिक्र नहीं है तो फिर मिडल व प्राथमिक विद्यालय के मुखियाओं को क्यों इस कार्य के बदले भुगतान के बिल थमाए जा रहे हैं।

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