आवारा कुत्तों को नसबंदी के बाद वापस उसी जगह छोड़ने के नियम पर करें पुनर्विचार
शिमला, 12 सितंबर (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आवारा कुत्तों की नसबंदी और रोगाणु मुक्त करने के बाद वापस उसी स्थान पर छोड़े जाने के नियम पर पुनर्विचार करने के आदेश दिए हैं। एनिमल बर्थ कंट्रोल एक्ट 2023 के तहत बनाए नियम में आवारा कुत्तों को नसबंदी और रोगाणु रहित करने के बाद उसी स्थान पर छोड़ा जाता है जहां से उन्हें पकड़ा जाता है। कोर्ट ने कहा कि इस नियम पर पुनर्विचार की जरूरत है क्योंकि ऐसा करने से छोटे बच्चों और बजुर्गों को इनके आक्रमण से ज्यादा खतरा पैदा होता है। कोर्ट ने इन आदेशों को संबंधित अथॉरिटी के ध्यान में लाने के आदेश देते हुए कहा कि उक्त प्रावधान में उपयुक्त संशोधन कर शहरी और स्कूलों के आसपास के क्षेत्रों को इस नीति से मुक्त रखा जाए। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने वन विभाग और नगर निगम शिमला को आदेश दिए कि वह बंदरों और कुत्तों के आतंक को नियंत्रित करने के लिए अपने प्रयत्नों को जारी रखे। कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए इसी तर्ज पर प्रदेश के वन विभाग को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश जारी किए।
इन आदेशों में राज्य सरकार को मानव-वन्यजीव संकट का व्यापक अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञ निकायों को शामिल करने और सभी हितधारकों के साथ-साथ स्थानीय आबादी को मानव-वन्यजीव संघर्ष के बारे में जागरूक करने को कहा गया है।
राज्य सरकार को बंदरों की जनगणना, समस्या वाले क्षेत्रों की पहचान के आदेश
राज्य सरकार को बंदरों की व्यापक जनगणना और इनसे समस्या वाले क्षेत्रों व स्थानों की पहचान करने के आदेश जारी किए गये हैं। राज्य सरकार को फसल वाले खेतों की सुरक्षा के लिए अवरोध लगाने और सौर बाड़ लगाने पर भी विचार करने के आदेश दिए गए हैं। यह बाड़ जानवरों अथवा इंसानों के लिए घातक न हो। राज्य सरकार को पशु परिवहन नियम, 1978 का पालन करते हुए पास के वन क्षेत्रों में बंदरों के पुनर्वास के लिए वन क्षेत्रों में फलदार पेड़ उगाने पर विचार करने को कहा गया है। राज्य सरकार को बीमार और घायल बंदरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने और इसका व्यापक प्रचार करने के आदेश जारी किए गए हैं।