For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

आईएएस अधिकारी को निदेशक तैनात करने की सिफारिश रद्द

08:56 AM May 17, 2025 IST
आईएएस अधिकारी को निदेशक तैनात करने की सिफारिश रद्द
Advertisement

शिमला, 16 मई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कृषि निदेशक के पद को विभागीय पदोन्नति समिति की सिफारिश के अनुसार भरने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता जीत सिंह की याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश जारी किए। कोर्ट ने मुख्यमंत्री द्वारा कृषि निदेशक के पद को भरने संबंधी 17 अप्रैल के निर्णय को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में नोटिंग के माध्यम से टिप्पणी करते हुए कहा था कि एक आईएएस अधिकारी को निदेशक (कृषि) के रूप में तैनात किया गया है क्योंकि विभाग में महत्वपूर्ण परियोजनाएं संभाली जाती हैं और वर्तमान में आईएएस अधिकारी विभाग को संभाल रहे हैं।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने इस निर्णय को खारिज करते हुए सरकार को डी.पी.सी. की सिफारिशों पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की पदोन्नति के संबंध में उचित आदेश पारित करने को भी कहा है।
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता जीत सिंह की शिकायत यह थी कि निदेशक, कृषि का पद पदोन्नति के माध्यम से शतप्रतिशत भरा जाना आवश्यक है और डी.पी.सी. द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, याचिकाकर्ता निदेशक के पद पर नियुक्त होने के लिए पूरी तरह से योग्य था, लेकिन फिर भी किसी भी ठोस कारण के बिना, उसे निदेशक कृषि के पद पर नियुक्ति/पदोन्नति की पेशकश नहीं की जा रही है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि 37 वर्षों तक विभाग की सेवा करने के बाद, याचिकाकर्ता विभाग में शीर्ष पद यानी निदेशक तक पहुंचने में सक्षम हो गया है, लेकिन उसके सही दावे को कुछ निहित स्वार्थों द्वारा जानबूझकर पराजित किया जा रहा है, जबकि उसकी कोई गलती नहीं है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा था कि एक कर्मचारी के पास पदोन्नति के लिए विचार करने का अधिकार निहित है और डी.पी.सी. द्वारा पदोन्नति के लिए उसकी सिफारिश की स्थिति में बिना किसी उचित कारण के पदोन्नति से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सरकार का कहना था कि चूंकि विभाग की महत्वपूर्ण परियोजनाएं एक आईएएस अधिकारी द्वारा संचालित की जा रही हैं, जो पिछले दो वर्षों से निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। इसलिए याचिकाकर्ता को निदेशक के पद पर पदोन्नत करना, वह भी केवल दो महीने की अवधि के लिए, आम जनता के हित में नहीं होगा, बल्कि ऐसी स्थिति में परियोजना कार्यों की निरंतरता बाधित हो सकती है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement