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हर पल सृजन में जुटे समाज के योगदान को पहचान

06:27 AM Oct 03, 2023 IST

अमिताभ स.

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पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना को विश्वकर्मा समाज के लिए देश का बड़ा सलाम कह सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह, फ़िल्म मेकर रामानन्द सागर, ग़ज़ल फ़नकार जगजीत सिंह समेत तमाम क्षेत्रों में विश्वकर्मा वर्ग की शख़्सियतों ने सराहनीय योगदान दिया है।
हाल ही में, पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की शुरुआत क्या हुई, 13,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी सरकारी योजना ने देश का ध्यान विश्वकर्मा समाज की ओर खींचा है। वाकई हर पल निर्माण कार्य में जुटे हैं विश्वकर्मा समाज के लोग। इन्हें कहीं-कहीं विश्व ब्राह्मण और विश्वकर्मा पंचाल कहा गया है, जिसके अंतर्गत लोहार, बढ़ई, ठठेरा, सुनार और शिल्पकार वैदिक काल के पंच कामगार जन आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्व ब्राह्मण भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्र हैं- मनु, माया, तवस्था, शिल्पी और विश्वजन्य। इन्हीं का रूप हैं विश्वकर्मा समाज के पांच जन। भारत के गांव-देहात के आर्थिक विकास में अहम भूमिका अदा करते-करते विश्वकर्मा समाज विभिन्न प्रदेश ही नहीं, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, सिंगापुर और सारी दुनिया में फैलता गया है।
विश्वकर्मा के सबसे सुव्यवस्थित औद्योगिक वर्ग 'वीर पंचाल’ में सुनार, लुहार, बढ़ई और राजमिस्त्री शामिल हैं। विश्वकर्मा पंचाल को सभ्यता, संस्कृति और धर्म का प्रचारक बताया गया, क्योंकि उन्होंने कला के जरिये हिंदू धर्म और बाद में सिख धर्म को भी दुनिया भर में फैलाया। इंडो-आर्यन समाज में इनकी कद्र अन्य वर्ण से कम नहीं रही। इसलिए 'मास्टर बिल्डर' के तौर पर विख्यात शिल्प शास्त्री यानी विश्वकर्मा पंचाल समाज के लोगों को धर्म गुरुओं के बराबर आचार्य की उपाधि से सम्मानित किया गया। इसी समाज के जनक सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी के पुत्र भगवान विश्वकर्मा निर्माण कला के सर्वसंपन्न देव हैं। भगवान विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र के रचनाकार हैं और चारों युगों में निर्माण की मिसालें पेश की हैं। सतयुग में स्वर्ग लोक, त्रेता युग में सोने की लंका, द्वापर युग में द्वारका नगरी और हस्तिनापुर व इंद्रप्रस्थ का निर्माण उन्हीं के हाथों हुआ बताते हैं। हर साल सितंबर में कामगार विश्वकर्मा पूजा करते हैं, तो कुछ दीवाली के अगले दिन अपने औजारों-यंत्रों की पूजा के रूप में भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं। ताकि आने वाले साल में उनके औजार बेहतर काम करें और ज्यादा मुनाफा कमाएं।
यजुर्वेद के मुताबिक, विश्वकर्मा या विश्व ब्राह्मण के 5 गोत्र या कुल हैं। गोत्र या कुल का नामकरण देव ऋषियों पर हुआ। सनगा, सानतन, अभुवन, प्रतनन और सुपर्ण नामक पांच गोत्र आगे 25 उपकुलों में बंटे हैं। सभी भगवान विश्वकर्मा को अपना कुल देवता या कुल गुरू मानते हैं। देश के अलग- अलग प्रदेशों में विश्वकर्मा समाज के अलग- अलग सरनेम प्रचलित हैं। केरल, कर्नाटक, गोवा व देश के बाकी राज्यों में भी अन्य उपनामों के विश्वकर्मा होते हैं।
इतिहास गवाह है कि मध्य प्रदेश के विश्वकर्मा ब्राह्मणों ने 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ झांसी की रानी को बम- बारूद और अस्त्र-शस्त्र सप्लाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। हथियार बनाने में महारत के चलते अंग्रेज भी इनसे खासे प्रभावित हुए। इसलिए विश्व युद्ध के लिए बंदूकें, कारतूस, तोप वगैरह तमाम अस्त्र-शस्त्र मुहैया कराने के मकसद से जबलपुर कारखाने में सैकड़ों विश्वकर्माओं को नौकरियां दीं। आजादी की लड़ाई से आजाद भारत की राजनीति तक विश्वकर्मा समाज का झंडा बुलंद है। लोहार परिवार से बिहार के सरदार राम प्रताप सिंह काला पानी की सजा यानी सेलुलर जेल से जिंदा लौटने वाले पहले स्वतंत्रता सेनानी थे। विश्वकर्मा समाज के ज्ञानी जैल सिंह पंजाब की राजनीति की सीढ़ियां चढ़कर 1982-87 के दौरान राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजमान हुए। उधर, सिंगापुर के छठे राष्ट्रपति एसआर नाथन भी भारतीय मूल के विश्वकर्मा वंश के हैं।
कला, मनोरंजन और खेल के क्षेत्र में विश्वकर्माओं ने निरंतर ऊंचाइयों को छुआ है। अपनी सुकून भरी आवाज के जादू से सारी दुनिया का दिल जीतने वाले ग़ज़ल फ़नकार जगजीत सिंह विश्वकर्मा ब्राह्मण थे और उनका सरनेम धीमान था। बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म मेकर रामानंद सागर ने तो 'रामायण' और 'श्रीकृष्ण' सीरियलों की रचना कर खासी शोहरत हासिल की। सागर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में विश्वकर्मा समाज का सरनेम है। हीरो अजय देवगन 'फूल और कांटे' से सिल्वर स्क्रीन पर आए और छाए हैं। शंकर-जयकृष्ण फेम संगीत निर्देशक बंधु के जोड़ीदार जयकृष्ण का सरनेम पंचाल है, जो विश्वकर्मा है।
साहित्य, वास्तु, मेडिकल, पुलिस, न्याय, इंजीनियरिंग वगैरह हर क्षेत्र में विश्वकर्मा समाज के लोगों ने नाम कमाया है। बहरहाल, योजना के तहत दर्जी, धोबी, नाई समेत 18 क्षेत्रों के कामगारों को 1 और 2 लाख रुपये की दो किस्तों में कुल 3 लाख रुपये का कर्ज महज 5 फीसदी ब्याज दर पर देने की ऑनलाइन प्रक्रिया चालू हो चुकी है। इसे विश्वकर्मा समाज के निर्माण कार्यों को देश का सलाम कह सकते हैं।

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