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RBI Repo Rate: पांच साल में पहली बार RBI ने रेपो रेट में की 0.25% की कटौती, सस्ते होंगे लोन

12:57 PM Feb 07, 2025 IST
rbi repo rate  पांच साल में पहली बार rbi ने रेपो रेट में की 0 25  की कटौती  सस्ते होंगे लोन
RBI Repo Rate
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नई दिल्ली, 7 फरवरी (एजेंसी/ट्रिन्यू)

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RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में आम आदमी को बड़ी राहत दी है। तीन दिन तक चली बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया गया है। इस कटौती के बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी हो गया है। इससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सहित सभी खुदरा कर्ज सस्ते हो जाएंगे।

लगातार 11 बैठकों के बाद पहली बार हुआ बदलाव

आरबीआई ने मई 2023 के बाद पहली बार रेपो रेट में बदलाव किया है। इससे पहले 11 लगातार एमपीसी बैठकों में इसे 6.50% पर बनाए रखा गया था। पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास के सेवानिवृत्त होने के बाद संजय मल्होत्रा ने कार्यभार संभालते ही विकास दर को गति देने के लिए यह अहम फैसला लिया।

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भारतीय अर्थव्यवस्था की दूसरी तिमाही में विकास दर 4 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। इसे देखते हुए आरबीआई ने मौद्रिक नीति में तटस्थ रुख बनाए रखते हुए रेपो रेट में कमी करने का निर्णय लिया, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके।

गवर्नर मल्होत्रा का बयान

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा,"भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, लेकिन वैश्विक चुनौतियों से अछूती नहीं है। हमारा प्रयास हितधारकों के साथ परामर्श करना और उन्हें महत्व देना होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि नई फसल की आवक के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना है।

अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति पर प्रभाव

  • आरबीआई ने कहा कि मौद्रिक नीति रूपरेखा लागू होने के बाद से औसत मुद्रास्फीति दर में कमी आई है।
  • अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान लगाया गया है।
  • मौद्रिक नीति समिति ने अपने ‘तटस्थ’ रुख को कायम रखने का निर्णय लिया है।

आम आदमी को कैसे मिलेगा फायदा?

  1. होम लोन सस्ते होंगे - ब्याज दर कम होने से ईएमआई में राहत मिलेगी।
  2. ऑटो लोन पर कम ब्याज - गाड़ियों की खरीद आसान होगी।
  3. पर्सनल लोन किफायती होंगे - आम लोगों के लिए उधारी लेना सस्ता होगा।
  4. बाजार में नकदी बढ़ेगी - निवेश और खर्च में तेजी आएगी, जिससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

क्या है रेपो रेट?

रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। जब यह दर घटती है, तो बैंक भी उपभोक्ताओं को कम ब्याज दरों पर लोन देते हैं, जिससे कर्ज लेना सस्ता हो जाता है।

विनिमय दर नीति स्थिर, रुपये के लिए कोई लक्ष्य नहीं : आरबीआई गवर्नर

भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने शुक्रवार को कहा कि विनिमय दर नीति पिछले कई वर्षों से एक समान रही है और केंद्रीय बैंक ने रुपये के लिए किसी ‘‘विशिष्ट स्तर या दायरे'' का लक्ष्य नहीं बनाया है।

रुपये की विनिमय दर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.59 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई है। रुपया बृहस्पतिवार को 16 पैसे टूटकर 87.59 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था।

मल्होत्रा​​ ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘ मैं यहां यह बताना चाहूंगा कि रिजर्व बैंक की विनिमय दर नीति पिछले कई वर्षों से एक समान रही है। हमारा उद्देश्य बाजार की कार्यकुशलता से समझौता किए बिना, व्यवस्था व स्थिरता बनाए रखना है।''

उन्होंने कहा, ‘‘ विदेशी मुद्रा बाजार में हमारा हस्तक्षेप किसी विशिष्ट विनिमय दर स्तर या दायरे को लक्षित करने के बजाय अत्यधिक तथा विघटनकारी अस्थिरता को कम करने पर केंद्रित है।

भारतीय रुपये की विनिमय दर बाजार तत्वों द्वारा निर्धारित होती है।'' रुपये में इस साल अबतक करीब दो प्रतिशत की गिरावट आई है। छह नवंबर, 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि इसी अवधि में डॉलर सूचकांक में 2.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले तीन महीनों में 45 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई जिसका आंशिक कारण विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई का हस्तक्षेप है। आठ नवंबर, 2024 तक विदेशी मुद्रा भंडार 675.65 अरब अमेरिकी डॉलर था।

इस साल 31 जनवरी तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो इससे पिछले सप्ताह 629.55 अरब अमेरिकी डॉलर था। यह 10 महीने से अधिक के आयात के लिए पर्याप्त है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती के आकार तथा गति के बारे में उम्मीदें कम होने से अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ है और बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ा है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में बड़े पैमाने पर पूंजी की निकासी हुई है, जिससे उनकी मुद्राओं में तेज गिरावट आई है और वित्तीय स्थितियां सख्त हुई हैं।

डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने के लिए बैंकों, गैर-बैंकिंग इकाइयों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग इकाइयों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन...बैंक डॉट इन और फिन डॉट इन...शुरू किये जाने की घोषणा की है।

आरबीआई के गवर्नर संजय मनल्होत्रा ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी के बढ़ते मामले चिंता का विषय है। इससे निपटने के लिए रिजर्व बैंक इस साल अप्रैल से भारतीय बैंकों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन ‘बैंक डॉट इन' शुरू कर रहा है। साथ ही आने वाले समय में गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाइयों के लिए ‘फिन डॉट इन' शुरू किया जाएगा।

इस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा खतरों और ‘फिशिंग' जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को करने के साथ सुरक्षित वित्तीय सेवाओं को सुव्यवस्थित बनाना है ताकि डिजिटल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं में विश्वास बढ़े।

मल्होत्रा ने कहा कि इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) विशेष रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेगा। वास्तविक पंजीकरण अप्रैल 2025 से शुरू होंगे। बैंकों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि गैर-बैंकिंग इकाइयों के लिए अलग से ‘फिन डॉट इन' शुरू किया जाएगा।

केंद्रीय बैंक ने इसके साथ सीमा पार बिना कार्ड प्रस्तुत किये (कार्ड नॉट प्रेजेंट) लेनदेन में सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत शुरू करने का भी निर्णय किया है। डिजिटल भुगतान के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण कारक (एएफए) की शुरुआत ने लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाया है, जिससे ग्राहकों को डिजिटल भुगतान अपनाने का भरोसा मिला है।

हालांकि, यह आवश्यकता केवल घरेलू लेनदेन के लिए अनिवार्य है। आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘भारत में जारी किए गए कार्ड का इस्तेमाल कर ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर समान स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के लिए बिना कार्ड प्रस्तुत किये अंतरराष्ट्रीय (ऑनलाइन) लेनदेन के लिए भी एएफए को सक्षम करने का प्रस्ताव है।''

यह उन मामलों में सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करेगा जहां विदेशी व्यापारी एएफए के लिए सक्षम है। विभिन्न पक्षों से प्रतिक्रिया के लिए मसौदा परिपत्र जल्द ही जारी किया जाएगा।

आरबीआई का अनुमान, अगले वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

मुंबई, सात फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अगले वित्त वर्ष 2025-26 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का शुक्रवार को अनुमान लगाया। यह 31 मार्च, 2025 को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित 6.4 प्रतिशत से अधिक है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने चालू वित्त वर्ष के लिए आखिरी और अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि रबी फसल की अच्छी संभावनाओं तथा औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षित सुधार से 2025-26 में आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। उन्होंने कहा कि मांग पक्ष के प्रमुख चालकों में केंद्रीय बजट 2025-26 में कर राहत से घरेलू खपत मजबूत रहने की उम्मीद है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद बजट 2025-26 में उपभोग को बढ़ावा देने के लिए मध्यम वर्ग को अबतक की सबसे बड़ी आयकर छूट प्रदान करने की घोषणा की है।

चालू वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर अवधि में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी, जबकि आरबीआई ने स्वयं सात प्रतिशत का अनुमान लगाया था। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि उच्च क्षमता उपयोग स्तर, वित्तीय संस्थानों व कंपनियों के बेहतर बही-खाते और सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर दिए जाने से स्थिर निवेश में सुधार की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था के अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत और तीसरी तथा चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। जोखिम दोनों ओर समान रहेगा।''

संसद में पिछले सप्ताह पेश आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया था कि मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी बातों के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, हालांकि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक व विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन की आवश्यकता होगी। चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो दशकीय औसत के करीब है। '

आरबीआई का अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी की उम्मीद के बीच अगले वित्त वर्ष (2025-26) में खुदरा महंगाई दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। वहीं चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि आपूर्ति के मार्चे पर किसी झटके की आशंका नहीं है।

इसके साथ, खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों के दाम में नरमी तथा रबी फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाओं को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमान है, लेकिन यह मध्यम स्तर पर रहेगी।

मल्होत्रा ने कहा कि दूसरी तरफ ऊर्जा के दाम में अस्थिरता और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ वैश्विक वित्तीय बाजारों में जारी अनिश्चितता को देखते हुए मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अपनी पहली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा, ‘‘अगले साल मानसून सामान्य रहने के अनुमान के साथ 2025-26 में सीपीआई मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में इसके 4.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।''

आरबीआई ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में 2024-25 के लिए सकल मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। चौथी तिमाही में इसके 4.5 प्रतिशत पर रहने की संभावना जतायी गयी थी।

वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत तथा दूसरी तिमाही में चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई है। इसका मुख्य कारण सब्जियों सहित खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी आना है।

नवंबर में यह 5.48 प्रतिशत पर थी। जुलाई-अगस्त के दौरान यह औसतन 3.6 प्रतिशत थी। उसके बाद सितंबर में 5.5 प्रतिशत और अक्टूबर, 2024 में 6.2 प्रतिशत हो गई। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक कुल मुद्रास्फीति में सब्जियों और दालों का योगदान 32.3 प्रतिशत था।

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