आरबीआई गवर्नर का सुझाव : विदेशी धन प्रेषण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना जरूरी
नई दिल्ली, 14 अक्तूबर (भाषा)
RBI भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सोमवार को विदेशी धन प्रेषण remittance के समय और लागत को कम करने का मामला उठाया, जो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकी और भुगतान प्रणाली का उपयोग सीमापार भुगतान में तेजी लाने और विस्तार करने के लिए किया जा सकता है। दास ने 'सेंट्रल बैंकिंग एट क्रॉसरोड्स' विषय पर आयोजित सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा, “भारत सहित कई उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए सीमा पार पीयर-टू-पीयर (पी2पी) भुगतान की संभावनाओं को तलाशने के लिए remittance शुरुआती बिंदु है। हमारा मानना है कि ऐसे remittances की लागत और समय को महत्वपूर्ण रूप से कम करने की अपार संभावनाएं हैं।”
इसके अलावा, उन्होंने डॉलर, यूरो और पाउंड जैसी प्रमुख व्यापारिक मुद्राओं में लेनदेन निपटाने के लिए वास्तविक समय सकल निपटान (आरटीजीएस) के विस्तार की व्यवहार्यता पर भी जोर दिया।
RBI दास ने कहा कि भारत और कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों तरीकों से सीमा पार तीव्र भुगतान प्रणालियों के संपर्क का विस्तार करने के प्रयास पहले ही शुरू कर दिए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कुशल सीमा-पार भुगतान की सुविधा प्रदान करने की क्षमता है। मानकों और अंतर-संचालन का सामंजस्य सीबीडीसी के लिए सीमा-पार भुगतान और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी गंभीर वित्तीय स्थिरता चिंताओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
आरबीआई गवर्नर ने बैंकिंग क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआई) के दुरुपयोग पर चिंता जताई और कहा कि इससे साइबर हमले और डेटा उल्लंघन की घटनाएं बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा, "बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को इन सभी जोखिमों के खिलाफ पर्याप्त जोखिम शमन उपाय करने चाहिए। अंत में, बैंकों को एआई और बिग टेक के लाभों का लाभ उठाना चाहिए।"